भजन संहिता 73:21-28

भजन संहिता 73:21-28 HINOVBSI

मेरा मन तो कड़ुवा हो गया था, मेरा अन्त:करण छिद गया था, मैं तो पशु सरीखा था, और समझता न था, मैं तेरे संग रहकर भी, पशु बन गया था। तौभी मैं निरन्तर तेरे संग ही था; तू ने मेरे दाहिने हाथ को पकड़ रखा। तू सम्मति देता हुआ, मेरी अगुवाई करेगा, और तब मेरी महिमा करके मुझ को अपने पास रखेगा। स्वर्ग में मेरा और कौन है? तेरे संग रहते हुए मैं पृथ्वी पर और कुछ नहीं चाहता। मेरे हृदय और मन दोनों तो हार गए हैं, परन्तु परमेश्‍वर सर्वदा के लिये मेरा भाग और मेरे हृदय की चट्टान बना है। जो तुझ से दूर रहते हैं वे नष्‍ट होंगे; जो कोई तेरे विरुद्ध व्यभिचार करता है, उसका तू विनाश करता है। परन्तु परमेश्‍वर के समीप रहना, यही मेरे लिये भला है; मैं ने प्रभु यहोवा को अपना शरणस्थान माना है, जिस से मैं तेरे सब कामों का वर्णन करूँ।

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