भजन संहिता 32:3-4
भजन संहिता 32:3-4 HINOVBSI
जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हड्डियाँ पिघल गईं। क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा; और मेरी तरावट धूप काल की सी झुर्राहट बनती गई। (सेला)
जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हड्डियाँ पिघल गईं। क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा; और मेरी तरावट धूप काल की सी झुर्राहट बनती गई। (सेला)