भजन संहिता 30:1-12

भजन संहिता 30:1-12 HINOVBSI

हे यहोवा, मैं तुझे सराहूँगा क्योंकि तू ने मुझे खींचकर निकाला है, और मेरे शत्रुओं को मुझ पर आनन्द करने नहीं दिया। हे मेरे परमेश्‍वर यहोवा, मैं ने तेरी दोहाई दी और तू ने मुझे चंगा किया है। हे यहोवा, तू ने मेरा प्राण अधोलोक में से निकाला है, तू ने मुझ को जीवित रखा और क़ब्र में पड़ने से बचाया है। हे यहोवा के भक्‍तो, उसका भजन गाओ, और जिस पवित्र नाम से उसका स्मरण होता है, उसका धन्यवाद करो। क्योंकि उसका क्रोध तो क्षण भर का होता है, परन्तु उसकी प्रसन्नता जीवन भर की होती है। कदाचित् रात को रोना पड़े, परन्तु सबेरे आनन्द पहुँचेगा। मैं ने तो अपने चैन के समय कहा था, कि मैं कभी नहीं टलने का। हे यहोवा, अपनी प्रसन्नता से तू ने मेरे पहाड़ को दृढ़ और स्थिर किया था; जब तू ने अपना मुख फेर लिया तब मैं घबरा गया। हे यहोवा, मैं ने तुझी को पुकारा; और यहोवा से गिड़गिड़ाकर यह विनती की, कि जब मैं क़ब्र में चला जाऊँगा तब मेरे लहू से क्या लाभ होगा? क्या मिट्टी तेरा धन्यवाद कर सकती है? क्या वह तेरी सच्‍चाई का प्रचार कर सकती है? हे यहोवा, सुन, मुझ पर अनुग्रह कर; हे यहोवा, तू मेरा सहायक हो। तू ने मेरे लिये विलाप को नृत्य में बदल डाला; तू ने मेरा टाट उतरवाकर मेरी कमर में आनन्द का पटुका बाँधा है, ताकि मेरी आत्मा तेरा भजन गाती रहे और कभी चुप न हो। हे मेरे परमेश्‍वर यहोवा, मैं सर्वदा तेरा धन्यवाद करता रहूँगा।

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