भजन संहिता 142

142
सहायता के लिये प्रार्थना
दाऊद का मश्कील, जब वह गुफ़ा में था : प्रार्थना#1 शमू 22:1; 24:3
1मैं यहोवा की दोहाई देता,
मैं यहोवा से गिड़गिड़ाता हूँ,
2मैं अपने शोक की बातें उस से
खोलकर कहता#142:2 मूल में, उसके सामने उण्डेलूँगा ,
मैं अपना संकट उसके आगे प्रगट करता हूँ।
3जब मेरी आत्मा मेरे भीतर से
व्याकुल हो रही थी,
तब तू मेरी दशा#142:3 मूल में, मेरा पथ को जानता था!
जिस रास्ते से मैं जानेवाला था,
उसी में उन्होंने मेरे लिये फन्दा लगाया।
4मैं ने दाहिनी ओर देखा, परन्तु कोई मुझे
नहीं देखता।
मेरे लिये शरण कहीं नहीं रही,
न मुझ को कोई पूछता है।
5हे यहोवा, मैं ने तेरी दोहाई दी है;
मैं ने कहा, तू मेरा शरणस्थान है,
मेरे जीते जी तू मेरा भाग है।
6मेरी चिल्‍लाहट को ध्यान देकर सुन,
क्योंकि मेरी बड़ी दुर्दशा हो गई है!
जो मेरे पीछे पड़े हैं, उन से मुझे बचा ले;
क्योंकि वे मुझ से अधिक सामर्थी हैं।
7मुझ को बन्दीगृह से निकाल कि
मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूँ!
धर्मी लोग मेरे चारों ओर आएँगे;
क्योंकि तू मेरा उपकार करेगा।

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