भजन संहिता 116:1-15

भजन संहिता 116:1-15 HINOVBSI

मैं प्रेम रखता हूँ, इसलिये कि यहोवा ने मेरे गिड़गिड़ाने को सुना है। उसने जो मेरी ओर कान लगाया है, इसलिये मैं जीवन भर उसको पुकारा करूँगा। मृत्यु की रस्सियाँ मेरे चारों ओर थीं; मैं अधोलोक की सकेती में पड़ा था; मुझे संकट और शोक भोगना पड़ा। तब मैं ने यहोवा से प्रार्थना की, “हे यहोवा, विनती सुनकर मेरे प्राण को बचा ले!” यहोवा अनुग्रहकारी और धर्मी है; और हमारा परमेश्‍वर दया करनेवाला है। यहोवा भोलों की रक्षा करता है; जब मैं बलहीन हो गया था, उसने मेरा उद्धार किया। हे मेरे प्राण, तू अपने विश्रामस्थान में लौट आ; क्योंकि यहोवा ने तेरा उपकार किया है। तू ने तो मेरे प्राण को मृत्यु से, मेरी आँख को आँसू बहाने से, और मेरे पाँव को ठोकर खाने से बचाया है। मैं जीवित रहते हुए, अपने को यहोवा के सामने जानकर नित चलता रहूँगा। मैं ने जो ऐसा कहा है, इसे विश्‍वास की कसौटी पर कस कर कहा है, “मैं तो बहुत ही दु:खित हूँ;” मैं ने उतावली से कहा, “सब मनुष्य झूठे हैं।” यहोवा ने मेरे जितने उपकार किए हैं, उनका बदला मैं उसको क्या दूँ? मैं उद्धार का कटोरा उठाकर, यहोवा से प्रार्थना करूँगा, मैं यहोवा के लिये अपनी मन्नतें सभों की दृष्‍टि में प्रगट रूप में उसकी सारी प्रजा के सामने पूरी करूँगा। यहोवा के भक्‍तों की मृत्यु, उसकी दृष्‍टि में अनमोल है।