भजन संहिता 109:6-31

भजन संहिता 109:6-31 HINOVBSI

तू उसको किसी दुष्‍ट के अधिकार में रख, और कोई विरोधी उसकी दाहिनी ओर खड़ा रहे। जब उसका न्याय किया जाए, तब वह दोषी निकले, और उसकी प्रार्थना पाप गिनी जाए! उसके दिन थोड़े हों, और उसके पद को दूसरा ले! उसके बच्‍चे अनाथ हो जाएँ, और उसकी स्त्री विधवा हो जाए! और उसके लड़के मारे मारे फिरें, और भीख माँगा करें; उनको अपने उजड़े हुए घर से दूर जाकर टुकड़े माँगना पड़े! महाजन फन्दा लगाकर, उसका सर्वस्व ले ले; और परदेशी उसकी कमाई को लूट लें! कोई न हो जो उस पर करुणा करता रहे, और उसके अनाथ बालकों पर कोई अनुग्रह न करे! उसके वंश का नाश हो जाए, दूसरी पीढ़ी में उसका नाम मिट जाए! उसके पितरों का अधर्म यहोवा को स्मरण रहे, और उसकी माता का पाप न मिटे! वह निरन्तर यहोवा के सम्मुख रहे, कि वह उनका नाम पृथ्वी पर से मिटा डाले! क्योंकि वह दुष्‍ट, कृपा करना भूल गया वरन् दीन और दरिद्र को सताता था और मार डालने की इच्छा से खेदित मनवालों के पीछे पड़ा रहता था। वह शाप देने से प्रीति रखता था, और शाप उस पर आ पड़ा; वह आशीर्वाद देने से प्रसन्न न होता था, इसलिये आशीर्वाद उस से दूर रहा। वह शाप देना वस्त्र के समान पहिनता था, और वह उसके पेट में जल के समान, और उसकी हड्डियों में तेल के समान समा गया। वह उसके लिये ओढ़ने का काम दे, और फेंटे के समान उसकी कटि में नित्य कसा रहे। यहोवा की ओर से मेरे विरोधियों को, और मेरे विरुद्ध बुरा कहनेवालों को यही बदला मिले! परन्तु मुझ से हे यहोवा प्रभु, तू अपने नाम के निमित्त बर्ताव कर; तेरी करुणा तो बड़ी है, इसलिये तू मुझे छुटकारा दे! क्योंकि मैं दीन और दरिद्र हूँ, और मेरा हृदय घायल हुआ है। मैं ढलती हुई छाया के समान जाता रहा हूँ; मैं टिड्डी के समान उड़ा दिया गया हूँ। उपवास करते करते मेरे घुटने निर्बल हो गए; और मुझ में चर्बी न रहने से मैं सूख गया हूँ। मेरी तो उन लोगों में नामधराई होती है; जब वे मुझे देखते, तब सिर हिलाते हैं। हे मेरे परमेश्‍वर यहोवा, मेरी सहायता कर! अपनी करुणा के अनुसार मेरा उद्धार कर! जिस से वे जानें कि यह तेरा काम है, और हे यहोवा, तू ही ने यह किया है! वे कोसते तो रहें, परन्तु तू आशीष दे! वे तो उठते ही लज्जित हों, परन्तु तेरा दास आनन्दित हो! मेरे विरोधियों को अनादररूपी वस्त्र पहिनाया जाए, और वे अपनी लज्जा को कम्बल के समान ओढ़ें! मैं यहोवा का बहुत धन्यवाद करूँगा, और बहुत से लोगों के बीच में उसकी स्तुति करूँगा। क्योंकि वह दरिद्र की दाहिनी ओर खड़ा रहेगा, कि उसको प्राण–दण्ड दिलानेवालों से बचाए।