“मुझे मेलबलि चढ़ाने थे, और मैं ने अपनी मन्नतें आज ही पूरी की हैं। इसी कारण मैं तुझ से भेंट करने को निकली, मैं तेरे दर्शन की खोजी थी, और अभी पाया है। मैं ने अपने पलंग के बिछौने पर मिस्र के बेलबूटेवाले कपड़े बिछाए हैं; मैं ने अपने बिछौने पर गन्धरस, अगर और दालचीनी छिड़की है। इसलिये अब चल हम प्रेम से भोर तक जी बहलाते रहें; हम परस्पर की प्रीति से आनन्दित रहें। क्योंकि मेरा पति घर में नहीं है; वह दूर देश को चला गया है; वह चाँदी की थैली ले गया है; और पूर्णमासी को लौट आएगा।” ऐसी बातें कह कहकर, उसने उसको अपनी प्रबल माया में फँसा लिया; और अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से उसको अपने वश में कर लिया। वह तुरन्त उसके पीछे हो लिया, जैसे बैल कसाई–खाने को, या जैसे बेड़ी पहिने हुए कोई मूढ़ ताड़ना पाने को जाता है। अन्त में उस जवान का कलेजा तीर से बेधा जाएगा; वह उस चिड़िया के समान है जो फन्दे की ओर वेग से उड़े और न जानती हो कि उसमें मेरे प्राण जाएँगे। अब हे मेरे पुत्रो, मेरी सुनो, और मेरी बातों पर मन लगाओ। तेरा मन ऐसी स्त्री के मार्ग की ओर न फिरे, और उसकी डगरों में भूल कर न जाना; क्योंकि बहुत से लोग उस के द्वारा मारे पड़े हैं; उसके घात किए हुओं की एक बड़ी संख्या होगी। उसका घर अधोलोक का मार्ग है, वह मृत्यु के घर में पहुँचाता है।
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