हे मेरे पुत्र, यदि तू अपने पड़ोसी का
उत्तरदायी हुआ हो,
अथवा परदेशी के लिये हाथ पर हाथ
मार कर उत्तरदायी हुआ हो,
तो तू अपने ही मुँह के वचनों से फँसा,
और अपने ही मुँह की बातों से
पकड़ा गया।
इसलिये हे मेरे पुत्र, एक काम कर
अर्थात् तू जो अपने पड़ोसी के हाथ में
पड़ चुका है,
तो जा, उसको साष्टांग प्रणाम करके मना ले।
तू न तो अपनी आँखों में नींद,
और न अपनी पलकों में झपकी आने दे;
और अपने आप को हरिणी के समान
शिकारी के हाथ से,
और चिड़िया के समान
चिड़ीमार के हाथ से छुड़ा।
हे आलसी, चींटियों के पास जा;
उनके काम पर ध्यान दे,
और बुद्धिमान हो।
उनके न तो कोई न्यायी होता है,
न प्रधान, और न प्रभुता करनेवाला,
तौभी वे अपना आहार धूपकाल में
संचय करती हैं,
और कटनी के समय अपनी भोजनवस्तु
बटोरती हैं।
हे आलसी, तू कब तक सोता रहेगा?
तेरी नींद कब टूटेगी?
कुछ और सो लेना,
थोड़ी सी नींद, एक और झपकी,
थोड़ा और छाती पर हाथ रखे लेटे रहना,
तब तेरा कंगालपन राह के लुटेरे के समान
और तेरी घटी हथियार बन्द के समान
आ पड़ेगी।
ओछे और अनर्थकारी को देखो,
वह टेढ़ी टेढ़ी बातें बकता फिरता है,
वह नैन से सैन और पाँव से इशारा,
और अपनी अंगुलियों से संकेत करता है,
उसके मन में उलट–फेर की बातें रहतीं,
वह लगातार बुराई गढ़ता है
और झगड़ा–रगड़ा उत्पन्न करता है।
इस कारण उस पर विपत्ति अचानक
आ पड़ेगी,
वह पल भर में ऐसा नष्ट हो जाएगा,
कि बचने का कोई उपाय न रहेगा।