हे लमूएल, राजाओं का दाखमधु पीना उनको शोभा नहीं देता, और मदिरा चाहना, रईसों को नहीं फबता; ऐसा न हो कि वे पीकर व्यवस्था को भूल जाएँ और किसी दु:खी के हक़ को मारें। मदिरा उसको पिलाओ जो मरने पर है, और दाखमधु उदास मनवालों को ही देना; जिस से वे पीकर अपनी दरिद्रता को भूल जाएँ और अपने कठिन श्रम फिर स्मरण न करें। गूँगे के लिये अपना मुँह खोल, और सब अनाथों का न्याय उचित रीति से किया कर। अपना मुँह खोल और धर्म से न्याय कर, और दीन दरिद्रों का न्याय कर। भली पत्नी कौन पा सकता है? क्योंकि उसका मूल्य मूँगों से भी बहुत अधिक है। उसके पति के मन में उसके प्रति विश्वास है, और उसे लाभ की घटी नहीं होती। वह अपने जीवन के सारे दिनों में उस से बुरा नहीं, वरन् भला ही व्यवहार करती है। वह ऊन और सन ढूँढ़ ढूँढ़कर, अपने हाथों से प्रसन्नता के साथ काम करती है। वह व्यापार के जहाजों के समान, अपनी भोजनवस्तुएँ दूर से मँगवाती है। वह रात ही को उठ बैठती है, और अपने घराने को भोजन खिलाती है, और अपनी दासियों को अलग अलग काम देती है। वह किसी खेत के विषय में सोच विचार करती है और उसे मोल ले लेती है; और अपने परिश्रम के फल से दाख की बारी लगाती है।
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