परमेश्वर का एक एक वचन ताया हुआ है, वह अपने शरणागतों की ढाल ठहरा है। उसके वचनों में कुछ मत बढ़ा, ऐसा न हो कि वह तुझे डाँटे और तू झूठा ठहरे। मैं ने तुझ से दो वर माँगे हैं, इसलिये मेरे मरने से पहले उन्हें मुझे देने से मुँह न मोड़, अर्थात् व्यर्थ और झूठी बात मुझ से दूर रख; मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना; प्रतिदिन की रोटी मुझे खिलाया कर।
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