नीतिवचन 29:1-14

नीतिवचन 29:1-14 HINOVBSI

जो बार बार डाँटे जाने पर भी हठ करता है, वह अचानक नष्‍ट हो जाएगा और उसका कोई भी उपाय काम न आएगा। जब धर्मी लोग शिरोमणि होते हैं, तब प्रजा आनन्दित होती है; परन्तु जब दुष्‍ट प्रभुता करता है तब प्रजा हाय–हाय करती है। जो पुरुष बुद्धि से प्रीति रखता है, अपने पिता को आनन्दित करता है, परन्तु वेश्याओं की संगति करनेवाला धन को उड़ा देता है। राजा न्याय से देश को स्थिर करता है, परन्तु जो बहुत घूस लेता है उसको उलट देता है। जो पुरुष किसी से चिकनी चुपड़ी बातें करता है, वह उसके पैरों के लिये जाल लगाता है। बुरे मनुष्य का अपराध फन्दा होता है, परन्तु धर्मी आनन्दित होकर जयजयकार करता है। धर्मी पुरुष कंगालों के मुक़द्दमे में मन लगाता है; परन्तु दुष्‍ट जन उसे जानने की समझ नहीं रखता। ठट्ठा करनेवाले लोग नगर को फूँक देते हैं, परन्तु बुद्धिमान लोग क्रोध को ठण्डा करते हैं। जब बुद्धिमान मूढ़ के साथ वादविवाद करता है, तब वह मूढ़ क्रोधित होता और ठट्ठा करता है, और वहाँ शान्ति नहीं रहती। हत्यारे लोग खरे पुरुष से बैर रखते हैं, और सीधे लोगों के प्राण की खोज करते हैं। मूर्ख अपने सारे मन की बात खोल देता है, परन्तु बुद्धिमान अपने मन को रोकता, और शान्त कर देता है। जब हाकिम झूठी बात की ओर कान लगाता है, तब उसके सबसेवक दुष्‍ट हो जाते हैं। निर्धन और अन्धेर करनेवाला पुरुष एक समान हैं; और यहोवा दोनों की आँखों में ज्योति देता है। जो राजा कंगालों का न्याय सच्‍चाई से चुकाता है, उसकी गद्दी सदैव स्थिर रहती है।