नीतिवचन 28:1-14

नीतिवचन 28:1-14 HINOVBSI

दुष्‍ट लोग जब कोई पीछा नहीं करता तब भी भागते हैं, परन्तु धर्मी लोग जवान सिंहों के समान निडर रहते हैं। देश में पाप होने के कारण उसके हाकिम बदलते जाते हैं; परन्तु समझदार और ज्ञानी मनुष्य के द्वारा सुप्रबन्ध बहुत दिन के लिये बना रहेगा। जो निर्धन पुरुष कंगालों पर अन्धेर करता है, वह ऐसी भारी वर्षा के समान है जो कुछ भोजनवस्तु नहीं छोड़ती। जो लोग व्यवस्था को छोड़ देते हैं, वे दुष्‍ट की प्रशंसा करते हैं, परन्तु व्यवस्था पर चलनेवाले उन का विरोध करते हैं। बुरे लोग न्याय को नहीं समझ सकते, परन्तु यहोवा को ढूँढ़नेवाले सब कुछ समझते हैं। टेढ़ी चाल चलनेवाले धनी मनुष्य से, खराई से चलनेवाला निर्धन पुरुष ही उत्तम है। जो व्यवस्था का पालन करता वह समझदार सुपूत होता है, परन्तु उड़ाऊ का संगी अपने पिता का मुँह काला करता है। जो अपना धन ब्याज आदि बढ़ती से बढ़ाता है, वह उसके लिये बटोरता है जो कंगालों पर अनुग्रह करता है। जो अपना कान व्यवस्था सुनने से मोड़ लेता है, उसकी प्रार्थना घृणित ठहरती है। जो सीधे लोगों को भटकाकर कुमार्ग पर ले जाता है वह अपने खोदे हुए गड़हे में आप ही गिरता है; परन्तु खरे लोग कल्याण के भागी होते हैं। धनी पुरुष अपनी दृष्‍टि में बुद्धिमान होता है, परन्तु समझदार कंगाल उसका मर्म समझ लेता है। जब धर्मी लोग जयवन्त होते हैं, तब बड़ी शोभा होती है; परन्तु जब दुष्‍ट लोग प्रबल होते हैं, तब मनुष्य अपने आप को छिपाता है। जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सफल नहीं होता, परन्तु जो उनको मान लेता और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जायेगी। जो मनुष्य निरन्तर प्रभु का भय मानता रहता है वह धन्य है; परन्तु जो अपना मन कठोर कर लेता है वह विपत्ति में पड़ता है।

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