नीतिवचन 23:19-35

नीतिवचन 23:19-35 HINOVBSI

हे मेरे पुत्र, तू सुनकर बुद्धिमान हो, और अपना मन सुमार्ग में सीधा चला। दाखमधु के पीनेवालों में न होना, न मांस के अधिक खानेवालों की संगति करना; क्योंकि पियक्‍कड़ और पेटू अपना भाग खोते हैं, और पीनकवाले को चिथड़े पहिनने पड़ते हैं। अपने जन्मानेवाले पिता की सुनना, और जब तेरी माता बूढ़ी हो जाए, तब भी उसे तुच्छ न जानना। सच्‍चाई को मोल लेना, बेचना नहीं; और बुद्धि और शिक्षा और समझ को भी मोल लेना। धर्मी का पिता बहुत मगन होता है; और बुद्धिमान का जन्मानेवाला उसके कारण आनन्दित होता है। तेरे कारण तेरे माता–पिता आनन्दित, और तेरी जननी मगन हो। हे मेरे पुत्र, अपना मन मेरी ओर लगा, और तेरी दृष्‍टि मेरे चालचलन पर लगी रहे। वेश्या गहिरा गड़हा ठहरती है; और पराई स्त्री सकरे कुएँ के समान है। वह डाकू के समान घात लगाती है, और बहुत से मनुष्यों को विश्‍वासघाती कर देती है। कौन कहता है, हाय? कौन कहता है, हाय हाय? कौन झगड़े रगड़े में फँसता है? कौन बक बक करता है? किसके अकारण घाव होते हैं? किसकी आँखें लाल हो जाती हैं? उनकी जो दाखमधु देर तक पीते हैं, और जो मसाला मिला हुआ दाखमधु ढूँढ़ने को जाते हैं। जब दाखमधु लाल दिखाई देता है, और कटोरे में उसका सुन्दर रंग होता है, और जब वह धार के साथ उण्डेला जाता है, तब उसको न देखना। क्योंकि अन्त में वह सर्प के समान डसता है, और करैत के समान काटता है। तू विचित्र वस्तुएँ देखेगा, और उल्टी–सीधी बातें बकता रहेगा। तू समुद्र के बीच लेटनेवाले या मस्तूल के सिरे पर सोनेवाले के समान रहेगा। तू कहेगा कि मैं ने मार तो खाई, परन्तु दु:खित न हुआ; मैं पिट तो गया, परन्तु मुझे कुछ सुधि न थी। मैं होश में कब आऊँ? मैं तो फिर मदिरा ढूँढ़ूँगा।