बड़े धन से अच्छा नाम अधिक चाहने योग्य है, और सोने चाँदी से दूसरों की प्रसन्नता उत्तम है। धनी और निर्धन दोनों एक दूसरे से मिलते हैं; यहोवा उन दोनों का कर्ता है। चतुर मनुष्य विपत्ति को आते देखकर छिप जाता है; परन्तु भोले लोग आगे बढ़कर दण्ड भोगते हैं। नम्रता और यहोवा के भय मानने का फल धन, महिमा और जीवन होता है। टेढ़े मनुष्य के मार्ग में काँटे और फन्दे रहते हैं; परन्तु जो अपने प्राणों की रक्षा करता, वह उनसे दूर रहता है। लड़के को उसी मार्ग की शिक्षा दे जिसमें उसको चलना चाहिए, और वह बुढ़ापे में भी उससे न हटेगा। धनी, निर्धन लोगों पर प्रभुता करता है, और उधार लेनेवाला उधार देनेवाले का दास होता है। जो कुटिलता का बीज बोता है, वह अनर्थ ही काटेगा, और उसके रोष का सोंटा टूटेगा। दया करनेवाले पर आशीष फलती है, क्योंकि वह कंगाल को अपनी रोटी में से देता है। ठट्ठा करनेवाले को निकाल दे, तब झगड़ा मिट जाएगा, और वाद–विवाद और अपमान दोनों टूट जाएँगे। जो मन की शुद्धता से प्रीति रखता है, और जिसके वचन मनोहर होते हैं, राजा उसका मित्र होता है। यहोवा ज्ञानी पर दृष्टि करके, उसकी रक्षा करता है, परन्तु विश्वासघाती की बातें उलट देता है। आलसी कहता है, बाहर तो सिंह होगा! मैं चौक के बीच घात किया जाऊँगा।
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