नीतिवचन 14:19-35

नीतिवचन 14:19-35 HINOVBSI

बुरे लोग भलों के सम्मुख, और दुष्‍ट लोग धर्मी के फाटक पर दण्डवत् करते हैं। निर्धन का पड़ोसी भी उस से घृणा करता है, परन्तु धनी के बहुतेरे प्रेमी होते हैं। जो अपने पड़ोसी को तुच्छ जानता, वह पाप करता है, परन्तु जो दीन लोगों पर अनुग्रह करता, वह धन्य होता है। जो बुरी युक्‍ति निकालते हैं, क्या वे भ्रम में नहीं पड़ते? परन्तु भली युक्‍ति निकालनेवालों से करुणा और सच्‍चाई का व्यवहार किया जाता है। परिश्रम से सदा लाभ होता है, परन्तु बकवाद करने से केवल घटी होती है। बुद्धिमानों का धन उनका मुकुट ठहरता है, परन्तु मूर्खों की मूढ़ता निरी मूढ़ता है। सच्‍चा साक्षी बहुतों के प्राण बचाता है, परन्तु जो झूठी बातें उड़ाया करता है उस से धोखा ही होता है। यहोवा के भय माननेवाले को दृढ़ भरोसा होता है, और उसके पुत्रों को शरणस्थान मिलता है। यहोवा का भय मानना, जीवन का सोता है, और उसके द्वारा लोग मृत्यु के फन्दों से बच जाते हैं। राजा की महिमा प्रजा की बहुतायत से होती है, परन्तु जहाँ प्रजा नहीं, वहाँ हाकिम का नाश हो जाता है। जो विलम्ब से क्रोध करनेवाला है वह बड़ा समझवाला है, परन्तु जो अधीर है, वह मूढ़ता की बढ़ती करता है। शान्त मन, तन का जीवन है, परन्तु मन के जलने से हड्डियाँ भी जल जाती हैं। जो कंगाल पर अंधेर करता, वह उसके कर्ता की निन्दा करता है, परन्तु जो दरिद्र पर अनुग्रह करता, वह उसकी महिमा करता है। दुष्‍ट मनुष्य बुराई करता हुआ नष्‍ट हो जाता है, परन्तु धर्मी को मृत्यु के समय भी शरण मिलती है। समझवाले के मन में बुद्धि वास किए रहती है, परन्तु मूर्खों के अन्त:करण में जो कुछ है वह प्रगट हो जाता है। जाति की बढ़ती धर्म ही से होती है, परन्तु पाप से देश के लोगों का अपमान होता है। जो कर्मचारी बुद्धि से काम करता है उस पर राजा प्रसन्न होता है, परन्तु जो लज्जा के काम करता, उस पर वह रोष करता है।