नीतिवचन 11:16-31

नीतिवचन 11:16-31 HINOVBSI

अनुग्रह करनेवाली स्त्री प्रतिष्‍ठा नहीं खोती है, और उग्र लोग धन को नहीं खोते। कृपालु मनुष्य अपना ही भला करता है, परन्तु जो क्रूर है, वह अपनी ही देह को दु:ख देता है। दुष्‍ट मिथ्या कमाई कमाता है, परन्तु जो धर्म का बीज बोता, उसको निश्‍चय फल मिलता है। जो धर्म में दृढ़ रहता, वह जीवन पाता है, परन्तु जो बुराई का पीछा करता, वह मृत्यु का कौर हो जाता है। जो मन के टेढ़े हैं, उन से यहोवा को घृणा आती है, परन्तु वह खरी चालवालों से प्रसन्न रहता है। मैं दृढ़ता के साथ कहता हूँ, बुरा मनुष्य निर्दोष न ठहरेगा, परन्तु धर्मी का वंश बचाया जाएगा। जो सुन्दर स्त्री विवेक नहीं रखती, वह थूथुन में सोने की नथ पहिने हुए सूअर के समान है। धर्मियों की लालसा तो केवल भलाई की होती है; परन्तु दुष्‍टों की आशा का फल क्रोध ही होता है। ऐसे हैं, जो छितरा देते हैं, तौभी उनकी बढ़ती ही होती है; और ऐसे भी हैं जो यथार्थ से कम देते हैं, और इस से उनकी घटती ही होती है। उदार प्राणी हृष्‍ट पुष्‍ट हो जाता है, और जो दूसरों की खेती सींचता है, उसकी भी सींची जाएगी। जो अपना अनाज रख छोड़ता है, उसको लोग शाप देते हैं, परन्तु जो उसे बेच देता है, उसको आशीर्वाद दिया जाता है। जो यत्न से भलाई करता है वह दूसरों की प्रसन्नता खोजता है, परन्तु जो दूसरे की बुराई का खोजी होता है, उसी पर बुराई आ पड़ती है। जो अपने धन पर भरोसा रखता है वह गिर जाता है, परन्तु धर्मी लोग नये पत्ते के समान लहलहाते हैं। जो अपने घराने को दु:ख देता, उसका भाग वायु ही होगा, और मूढ़ बुद्धिमान का दास हो जाता है। धर्मी का प्रतिफल जीवन का वृक्ष होता है, और बुद्धिमान मनुष्य लोगों के मन को मोह लेता है। देख, धर्मी को पृथ्वी पर फल मिलेगा, तो निश्‍चय है कि दुष्‍ट और पापी को भी मिलेगा।