नीतिवचन 10:17-32

नीतिवचन 10:17-32 HINOVBSI

जो शिक्षा पर चलता, वह जीवन के मार्ग पर है, परन्तु जो डाँट से मुँह मोड़ता, वह भटकता है। जो बैर को छिपा रखता है, वह झूठ बोलता है, और जो झूठी निन्दा फैलाता है, वह मूर्ख है। जहाँ बहुत बातें होती हैं, वहाँ अपराध भी होता है, परन्तु जो अपने मुँह को बन्द रखता वह बुद्धि से काम करता है। धर्मी के वचन तो उत्तम चाँदी हैं; परन्तु दुष्‍टों का मन बहुत हल्का होता है। धर्मी के वचनों से बहुतों का पालन–पोषण होता है, परन्तु मूढ़ लोग निर्बुद्धि होने के कारण मर जाते हैं। धन यहोवा की आशीष ही से मिलता है, और वह उसके साथ दु:ख नहीं मिलाता। मूर्ख को तो महापाप करना हँसी की बात जान पड़ती है, परन्तु समझवाले पुरुष में बुद्धि रहती है। दुष्‍ट जन जिस विपत्ति से डरता है, वह उस पर आ पड़ती है, परन्तु धर्मियों की लालसा पूरी होती है। बवण्डर निकल जाते ही दुष्‍ट जन लोप हो जाता है, परन्तु धर्मी सदा लों स्थिर है। जैसे दाँत को सिरका, और आँख को धूआँ, वैसे आलसी उनको लगता है जो उसको कहीं भेजते हैं। यहोवा का भय मानने से आयु बढ़ती है, परन्तु दुष्‍टों का जीवन थोड़े ही दिनों का होता है। धर्मियों को आशा रखने में आनन्द मिलता है, परन्तु दुष्‍टों की आशा टूट जाती है। यहोवा खरे मनुष्य का गढ़ ठहरता है, परन्तु अनर्थकारियों का विनाश होता है। धर्मी सदा अटल रहेगा, परन्तु दुष्‍ट पृथ्वी पर बसने न पाएँगे। धर्मी के मुँह से बुद्धि टपकती है, पर उलट फेर की बात कहनेवाले की जीभ काटी जाएगी। धर्मी ग्रहणयोग्य बात समझ कर बोलता है, परन्तु दुष्‍टों के मुँह से उलट फेर की बातें निकलती हैं।