फिलेमोन 1:4-16

फिलेमोन 1:4-16 HINOVBSI

मैं सदा परमेश्‍वर का धन्यवाद करता हूँ, और अपनी प्रार्थनाओं में भी तुझे स्मरण करता हूँ, क्योंकि मैं तेरे उस प्रेम और विश्‍वास की चर्चा सुनता हूँ, जो सब पवित्र लोगों के साथ और प्रभु यीशु पर है। मैं प्रार्थना करता हूँ कि विश्‍वास में तेरा सहभागी होना, तुम्हारी सारी भलाई की पहिचान में, मसीह के लिये प्रभावशाली हो। क्योंकि हे भाई, मुझे तेरे प्रेम से बहुत आनन्द और शान्ति मिली है, इसलिये कि तेरे द्वारा पवित्र लोगों के मन हरे–भरे हो गए हैं। इसलिये यद्यपि मुझे मसीह में बड़ा साहस है कि जो बात ठीक है, उसकी आज्ञा तुझे दूँ। तौभी मुझ बूढ़े पौलुस को जो अब मसीह यीशु के लिये कैदी है, यह और भी भला जान पड़ा कि प्रेम से विनती करूँ। मैं अपने बच्‍चे उनेसिमुस के लिये, जो मुझ से मेरी कैद में जन्मा है, तुझ से विनती करता हूँ। वह तो पहले तेरे कुछ काम का न था, पर अब तेरे और मेरे दोनों के बड़े काम का है। उसी को अर्थात् जो मेरे हृदय का टुकड़ा है, मैं ने तेरे पास लौटा दिया है। उसे मैं अपने ही पास रखना चाहता था कि वह तेरी ओर से इस कैद में जो सुसमाचार के कारण है, मेरी सेवा करे। पर मैं ने तेरी इच्छा बिना कुछ भी करना न चाहा, कि तेरी यह कृपा दबाव से नहीं पर आनन्द से हो। क्योंकि क्या जाने वह तुझ से कुछ दिन तक के लिये इसी कारण अलग हुआ कि सदैव तेरे निकट रहे। परन्तु अब से दास की तरह नहीं वरन् दास से भी उत्तम, अर्थात् भाई के समान रहे, जो मेरा तो विशेष प्रिय है ही, पर अब शरीर में और प्रभु में भी, तेरा भी विशेष प्रिय हो।

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