नहेम्याह 1:1-11

नहेम्याह 1:1-11 HINOVBSI

हकल्याह के पुत्र नहेम्याह के वचन। बीसवें वर्ष के किसलेव नामक महीने में, जब मैं शूशन नामक राजगढ़ में रहता था, तब हनानी नामक मेरा एक भाई और यहूदा से आए हुए कई एक पुरुष आए; तब मैं ने उन से उन बचे हुए यहूदियों के विषय जो बँधुआई से छूट गए थे, और यरूशलेम के विषय में पूछा। उन्होंने मुझ से कहा, “जो बचे हुए लोग बँधुआई से छूटकर उस प्रान्त में रहते हैं, वे बड़ी दुर्दशा में पड़े हैं, और उनकी निन्दा होती है; क्योंकि यरूशलेम की शहरपनाह टूटी हुई, और उसके फाटक जले हुए हैं।” ये बातें सुनते ही मैं बैठकर रोने लगा और कितने दिन तक विलाप करता, और स्वर्ग के परमेश्‍वर के सम्मुख उपवास करता और यह कहकर प्रार्थना करता रहा। “हे स्वर्ग के परमेश्‍वर यहोवा, हे महान् और भययोग्य ईश्‍वर! तू जो अपने प्रेम रखनेवाले और आज्ञा माननेवाले के विषय अपनी वाचा पालता और उन पर करुणा करता है; तू कान लगाए और आँखें खोले रह, कि जो प्रार्थना मैं तेरा दास इस समय तेरे दास इस्राएलियों के लिये दिन रात करता रहता हूँ, उसे तू सुन ले। मैं इस्राएलियों के पापों को जो हम लोगों ने तेरे विरुद्ध किए हैं, मान लेता हूँ। मैं और मेरे पिता के घराने दोनों ने पाप किया है। हम ने तेरे सामने बहुत बुराई की है, और जो आज्ञाएँ, विधियाँ और नियम तू ने अपने दास मूसा को दिए थे, उनको हम ने नहीं माना। उस वचन की सुधि ले, जो तू ने अपने दास मूसा से कहा था, ‘यदि तुम लोग विश्‍वासघात करो, तो मैं तुम को देश देश के लोगों में तितर बितर करूँगा। परन्तु यदि तुम मेरी ओर फिरो, और मेरी आज्ञाएँ मानो, और उन पर चलो, तो चाहे तुम में से निकाले हुए लोग आकाश की छोर में भी हों, तौभी मैं उनको वहाँ से इकट्ठा करके उस स्थान में पहुँचाऊँगा, जिसे मैं ने अपने नाम के निवास के लिये चुन लिया है।’ अब वे तेरे दास और तेरी प्रजा के लोग हैं जिनको तू ने अपनी बड़ी सामर्थ और बलवन्त हाथ के द्वारा छुड़ा लिया है। हे प्रभु विनती यह है, कि तू अपने दास की प्रार्थना पर, और अपने उन दासों की प्रार्थना पर, जो तेरे नाम का भय मानना चाहते हैं, कान लगा, और आज अपने दास का काम सफल कर, और उस पुरुष को उस पर दयालु कर।” मैं तो राजा का पियाऊ था।

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