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मरकुस 7:31, 32, 33, 34, 35, 36, 37

मरकुस 7:31 HINOVBSI

फिर वह सूर और सैदा के देशों से निकलकर दिकापुलिस से होता हुआ गलील की झील पर पहुँचा।

मरकुस 7:32 HINOVBSI

तो लोगों ने एक बहिरे को जो हक्ला भी था, उसके पास लाकर उससे विनती की कि अपना हाथ उस पर रखे।

मरकुस 7:33 HINOVBSI

तब वह उसको भीड़ से अलग ले गया, और अपनी उंगलियाँ उसके कानों में डालीं, और थूककर उसकी जीभ को छुआ

मरकुस 7:34 HINOVBSI

और स्वर्ग की ओर देखकर आह भरी, और उस से कहा, “इप्फत्तह!” अर्थात् “खुल जा”!

मरकुस 7:35 HINOVBSI

उसके कान खुल गए, और उस की जीभ की गाँठ भी खुल गई, और वह साफ साफ बोलने लगा।

मरकुस 7:36 HINOVBSI

तब उसने उन्हें चिताया कि किसी से न कहना; परन्तु जितना उसने उन्हें चिताया उतना ही वे और प्रचार करने लगे।

मरकुस 7:37 HINOVBSI

वे बहुत ही आश्‍चर्य में होकर कहने लगे, “उसने जो कुछ किया सब अच्छा किया है; वह बहिरों को सुनने की, और गूँगों को बोलने की शक्‍ति देता है।”