वहाँ से निकल कर वह अपने देश में आया, और उसके चेले भी उसके पीछे गए। सब्त के दिन वह आराधनालय में उपदेश करने लगा, और बहुत से लोग सुनकर चकित हुए और कहने लगे, “इस को ये बातें कहाँ से आ गईं? यह कौन सा ज्ञान है जो उसको दिया गया है? कैसे सामर्थ्य के काम इसके हाथों से प्रगट होते हैं? क्या यह वही बढ़ई नहीं, जो मरियम का पुत्र, और याकूब, योसेस, यहूदा, और शमौन का भाई है? क्या उसकी बहिनें यहाँ हमारे बीच में नहीं रहतीं?” इसलिये उन्होंने उसके विषय में ठोकर खाई। यीशु ने उनसे कहा, “भविष्यद्वक्ता का अपने देश, और अपने कुटुम्ब, और अपने घर को छोड़ और कहीं भी निरादर नहीं होता।” वह वहाँ कोई सामर्थ्य का काम न कर सका, केवल थोड़े–से बीमारों पर हाथ रखकर उन्हें चंगा किया।
और उसे उनके अविश्वास पर आश्चर्य हुआ, और वह चारों ओर के गाँवों में उपदेश करता फिरा।
उसने बारहों को अपने पास बुलाया और उन्हें दो दो करके भेजने लगा; और उन्हें अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दिया। उसने उन्हें आज्ञा दी, “मार्ग के लिये लाठी छोड़ और कुछ न लो; न तो रोटी, न झोली, न बटुए में पैसे, परन्तु जूतियाँ पहिनो और दो दो कुरते न पहिनो।” और उसने उनसे कहा, “जहाँ कहीं तुम किसी घर में उतरो, तो जब तक वहाँ से विदा न हो तब तक उसी घर में ठहरे रहो। जिस स्थान के लोग तुम्हें ग्रहण न करें और तुम्हारी न सुनें, वहाँ से चलते ही अपने तलवों की धूल झाड़ डालो कि उन पर गवाही हो।” तब उन्होंने जाकर प्रचार किया कि मन फिराओ, और बहुत सी दुष्टात्माओं को निकाला, और बहुत से बीमारों पर तेल मलकर उन्हें चंगा किया।
हेरोदेस राजा ने भी उसकी चर्चा सुनी, क्योंकि उसका नाम फैल गया था, और उसने कहा, “यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला मरे हुओं में से जी उठा है, इसी लिये उससे ये सामर्थ्य के काम प्रगट होते हैं।” अन्य लोगों ने कहा, “यह एलिय्याह है।” परन्तु कुछ अन्य ने कहा, “भविष्यद्वक्ता या भविष्यद्वक्ताओं में से किसी एक के समान है।” हेरोदेस ने यह सुन कर कहा, “जिस यूहन्ना का सिर मैं ने कटवाया था, वही जी उठा है!” हेरोदेस ने अपने भाई फिलिप्पुस की पत्नी हेरोदियास के कारण, जिससे उसने विवाह कर लिया था, लोगों को भेजकर यूहन्ना को पकड़वाकर बन्दीगृह में डाल दिया था; क्योंकि यूहन्ना ने हेरोदेस से कहा था, “अपने भाई की पत्नी को रखना तुझे उचित नहीं।” इसलिये हेरोदियास उससे बैर रखती थी और यह चाहती थी कि उसे मरवा डाले; परन्तु ऐसा न हो सका, क्योंकि हेरोदेस यूहन्ना को धर्मी और पवित्र पुरुष जानकर उससे डरता था, और उसे बचाए रखता था, और उसकी बातें सुनकर बहुत घबराता था, पर आनन्द से सुनता था।
ठीक अवसर आया जब हेरोदेस ने अपने जन्म दिन में अपने प्रधानों, और सेनापतियों, और गलील के बड़े लोगों के लिये भोज किया। तो हेरोदियास की बेटी भीतर आई, और नाचकर हेरोदेस को और उसके साथ बैठनेवालों को प्रसन्न किया। तब राजा ने लड़की से कहा, “तू जो चाहे मुझ से माँग मैं तुझे दूँगा।” और उससे शपथ खाई, “मैं अपने आधे राज्य तक जो कुछ तू मुझ से माँगेगी मैं तुझे दूँगा।” उसने बाहर जाकर अपनी माता से पूछा, “मैं क्या माँगूँ?” वह बोली, “यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर।” वह तुरन्त राजा के पास भीतर आई और उससे विनती की, “मैं चाहती हूँ कि तू अभी यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर एक थाल में मुझे मँगवा दे।”
तब राजा बहुत उदास हुआ, परन्तु अपनी शपथ के कारण और साथ बैठनेवालों के कारण उसे टालना न चाहा। अत: राजा ने तुरन्त एक सिपाही को आज्ञा देकर भेजा कि उसका सिर काट लाए। उसने जेलखाने में जाकर उसका सिर काटा, और एक थाल में रखकर लाया और लड़की को दिया, और लड़की ने अपनी माँ को दिया। यह सुनकर यूहन्ना के चेले आए, और उसके शव को ले गए और कब्र में रखा।