मरकुस 6:1-13

मरकुस 6:1-13 HINOVBSI

वहाँ से निकल कर वह अपने देश में आया, और उसके चेले भी उसके पीछे गए। सब्त के दिन वह आराधनालय में उपदेश करने लगा, और बहुत से लोग सुनकर चकित हुए और कहने लगे, “इस को ये बातें कहाँ से आ गईं? यह कौन सा ज्ञान है जो उसको दिया गया है? कैसे सामर्थ्य के काम इसके हाथों से प्रगट होते हैं? क्या यह वही बढ़ई नहीं, जो मरियम का पुत्र, और याकूब, योसेस, यहूदा, और शमौन का भाई है? क्या उसकी बहिनें यहाँ हमारे बीच में नहीं रहतीं?” इसलिये उन्होंने उसके विषय में ठोकर खाई। यीशु ने उनसे कहा, “भविष्यद्वक्‍ता का अपने देश, और अपने कुटुम्ब, और अपने घर को छोड़ और कहीं भी निरादर नहीं होता।” वह वहाँ कोई सामर्थ्य का काम न कर सका, केवल थोड़े–से बीमारों पर हाथ रखकर उन्हें चंगा किया। और उसे उनके अविश्‍वास पर आश्‍चर्य हुआ, और वह चारों ओर के गाँवों में उपदेश करता फिरा। उसने बारहों को अपने पास बुलाया और उन्हें दो दो करके भेजने लगा; और उन्हें अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दिया। उसने उन्हें आज्ञा दी, “मार्ग के लिये लाठी छोड़ और कुछ न लो; न तो रोटी, न झोली, न बटुए में पैसे, परन्तु जूतियाँ पहिनो और दो दो कुरते न पहिनो।” और उसने उनसे कहा, “जहाँ कहीं तुम किसी घर में उतरो, तो जब तक वहाँ से विदा न हो तब तक उसी घर में ठहरे रहो। जिस स्थान के लोग तुम्हें ग्रहण न करें और तुम्हारी न सुनें, वहाँ से चलते ही अपने तलवों की धूल झाड़ डालो कि उन पर गवाही हो।” तब उन्होंने जाकर प्रचार किया कि मन फिराओ, और बहुत सी दुष्‍टात्माओं को निकाला, और बहुत से बीमारों पर तेल मलकर उन्हें चंगा किया।

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