फिर उसने कहा, “परमेश्वर का राज्य ऐसा है, जैसे कोई मनुष्य भूमि पर बीज छींटे, और रात को सोए और दिन को जागे, और वह बीज ऐसे उगे और बढ़े कि वह न जाने। पृथ्वी आप से आप फल लाती है, पहले अंकुर, तब बाल, और तब बालों में तैयार दाना। परन्तु जब दाना पक जाता है, तब वह तुरन्त हँसिया लगाता है, क्योंकि कटनी आ पहुँची है।”
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