वह फिर आराधनालय में गया; वहाँ एक मनुष्य था जिसका हाथ सूख गया था, और वे उस पर दोष लगाने के लिये उस की घात में लगे हुए थे कि देखें, वह सब्त के दिन उसे चंगा करता है कि नहीं। उसने सूखे हाथवाले मनुष्य से कहा, “बीच में खड़ा हो।” और उनसे कहा, “क्या सब्त के दिन भला करना उचित है या बुरा करना, प्राण को बचाना या मारना?” पर वे चुप रहे। उसने उनके मन की कठोरता से उदास होकर, उनको क्रोध से चारों ओर देखा, और उस मनुष्य से कहा, “अपना हाथ बढ़ा।” उसने बढ़ाया, और उसका हाथ अच्छा हो गया। तब फरीसी बाहर जाकर तुरन्त हेरोदियों के साथ उसके विरोध में सम्मति करने लगे कि उसे किस प्रकार नष्ट करें।
यीशु अपने चेलों के साथ झील की ओर चला गया : और गलील से एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली; और यहूदिया, और यरूशलेम, और इदूमिया, और यरदन के पार, और सूर और सैदा के आसपास से एक बड़ी भीड़ यह सुनकर कि वह कैसे अचम्भे के काम करता है, उसके पास आई। उसने अपने चेलों से कहा, “भीड़ के कारण एक छोटी नाव मेरे लिये तैयार रहे ताकि वे मुझे दबा न सकें।” क्योंकि उसने बहुतों को चंगा किया था, इसलिये जितने लोग रोग–ग्रस्त थे, उसे छूने के लिये उस पर गिरे पड़ते थे। अशुद्ध आत्माएँ भी, जब उसे देखती थीं, तो उसके आगे गिर पड़ती थीं, और चिल्लाकर कहती थीं कि तू परमेश्वर का पुत्र है; और उसने उन्हें बहुत चिताया कि मुझे प्रगट न करना।
फिर वह पहाड़ पर चढ़ गया, और जिन्हें वह चाहता था उन्हें अपने पास बुलाया; और वे उसके पास आए। तब उसने बारह पुरुषों को नियुक्त किया कि वे उसके साथ–साथ रहें, और वह उन्हें भेजे कि वे प्रचार करें, और दुष्टात्माओं को निकालने का अधिकार रखें। वे ये हैं : शमौन जिसका नाम उसने पतरस रखा, और जब्दी का पुत्र याकूब और याकूब का भाई यूहन्ना, जिनका नाम उसने बुअनरगिस अर्थात् ‘गर्जन के पुत्र’ रखा, और अन्द्रियास, और फिलिप्पुस, और बरतुल्मै, और मत्ती, और थोमा, और हलफई का पुत्र याकूब, और तद्दै, और शमौन कनानी, और यहूदा इस्करियोती जिसने उसे पकड़वा भी दिया।
तब वह घर में आया : और ऐसी भीड़ इकट्ठी हो गई कि वे रोटी भी न खा सके। जब उसके कुटुम्बियों ने यह सुना, तो वे उसे पकड़ने के लिए निकले; क्योंकि वे कहते थे कि उसका चित ठिकाने नहीं है।