मरकुस 2:5-9

मरकुस 2:5-9 HINOVBSI

यीशु ने उनका विश्‍वास देखकर उस लकवे के रोगी से कहा, “हे पुत्र, तेरे पाप क्षमा हुए।” तब कई शास्त्री जो वहाँ बैठे थे, अपने–अपने मन में विचार करने लगे, “यह मनुष्य क्यों ऐसा कहता है? यह तो परमेश्‍वर की निन्दा करता है! परमेश्‍वर को छोड़ और कौन पाप क्षमा कर सकता है?” यीशु ने तुरन्त अपनी आत्मा में जान लिया कि वे अपने–अपने मन में ऐसा विचार कर रहे हैं, और उनसे कहा, “तुम अपने–अपने मन में यह विचार क्यों कर रहे हो? सहज क्या है? क्या लकवे के रोगी से यह कहना कि तेरे पाप क्षमा हुए, या यह कहना कि उठ अपनी खाट उठा कर चल फिर?

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