मरकुस 12:1-17

मरकुस 12:1-17 HINOVBSI

फिर वह दृष्‍टान्तों में उनसे बातें करने लगा : “किसी मनुष्य ने दाख की बारी लगाई, और उसके चारों ओर बाड़ा बाँधा, और रस का कुण्ड खोदा, और गुम्मट बनाया; और किसानों को उसका ठेका देकर परदेश चला गया। फिर फल के मौसम में उसने किसानों के पास एक दास को भेजा कि किसानों से दाख की बारी के फलों का भाग ले। पर उन्होंने उसे पकड़कर पीटा और छूछे हाथ लौटा दिया। फिर उसने एक और दास को उनके पास भेजा; उन्होंने उसका सिर फोड़ डाला और उसका अपमान किया। फिर उसने एक और को भेजा; उन्होंने उसे मार डाला। तब उसने और बहुतों को भेजा; उनमें से उन्होंने कुछ को पीटा, और कुछ को मार डाला। अब एक ही रह गया था, जो उसका प्रिय पुत्र था; अन्त में उसने उसे भी उनके पास यह सोचकर भेजा कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे। पर उन किसानों ने आपस में कहा, ‘यही तो वारिस है; आओ, हम इसे मार डालें, तब मीरास हमारी हो जाएगी।’ और उन्होंने उसे पकड़कर मार डाला, और दाख की बारी के बाहर फेंक दिया। “इसलिये दाख की बारी का स्वामी क्या करेगा? वह आकर उन किसानों का नाश करेगा, और दाख की बारी दूसरों को दे देगा। क्या तुम ने पवित्रशास्त्र में यह वचन नहीं पढ़ा : ‘जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था, वही कोने का सिरा हो गया; यह प्रभु की ओर से हुआ, और हमारी दृष्‍टि में अद्भुत है’! ” तब उन्होंने उसे पकड़ना चाहा; क्योंकि समझ गए थे कि उसने उनके विरोध में यह दृष्‍टान्त कहा है। पर वे लोगों से डरे, और उसे छोड़ कर चले गए। तब उन्होंने उसे बातों में फँसाने के लिये कुछ फरीसियों और हेरोदियों को उसके पास भेजा। उन्होंने आकर उससे कहा, “हे गुरु, हम जानते हैं, कि तू सच्‍चा है, और किसी की परवाह नहीं करता; क्योंकि तू मनुष्यों का मुँह देख कर बातें नहीं करता, परन्तु परमेश्‍वर का मार्ग सच्‍चाई से बताता है। तो क्या कैसर को कर देना उचित है या नहीं? हम दें, या न दें?” उसने उनका कपट जानकर उनसे कहा, “मुझे क्यों परखते हो? एक दीनार मेरे पास लाओ, कि मैं उसे देखूँ।” वे ले आए, और उसने उनसे कहा, “यह छाप और नाम किसका है?” उन्होंने कहा, “कैसर का।” यीशु ने उनसे कहा, “जो कैसर का है वह कैसर को, और जो परमेश्‍वर का है परमेश्‍वर को दो।” तब वे उस पर बहुत अचम्भा करने लगे।

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