मरकुस 10:32-45

मरकुस 10:32-45 HINOVBSI

वे यरूशलेम को जाते हुए मार्ग में थे, और यीशु उन के आगे आगे जा रहा था : चेले अचम्भित थे और जो उसके पीछे–पीछे चलते थे वे डरे हुए थे। तब वह फिर उन बारहों को लेकर उनसे वे बातें कहने लगा, जो उस पर आनेवाली थीं, “देखो, हम यरूशलेम को जाते हैं, और मनुष्य का पुत्र प्रधान याजकों और शास्त्रियों के हाथ पकड़वाया जाएगा, और वे उसको घात के योग्य ठहराएँगे, और अन्य जातियों के हाथ में सौंपेंगे। वे उसको ठट्ठों में उड़ाएँगे, उस पर थूकेंगे, उसे कोड़े मारेंगे और उसे घात करेंगे, और तीन दिन के बाद वह जी उठेगा।” तब जब्दी के पुत्र याकूब और यूहन्ना ने उसके पास आकर कहा, “हे गुरु, हम चाहते हैं कि जो कुछ हम तुझ से माँगें, वह तू हमारे लिये करे।” उसने उन से कहा, “तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये करूँ?” उन्होंने उससे कहा, “हमें यह दे कि तेरी महिमा में हम में से एक तेरे दाहिने और दूसरा तेरे बाएँ बैठे।” यीशु ने उनसे कहा, “तुम नहीं जानते कि क्या माँगते हो? जो कटोरा मैं पीने पर हूँ, क्या तुम पी सकते हो? और जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूँ, क्या तुम ले सकते हो?” उन्होंने उससे कहा, “हम से हो सकता है।” यीशु ने उनसे कहा, “जो कटोरा मैं पीने पर हूँ, तुम पीओगे; और जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूँ, उसे लोगे। पर जिनके लिये तैयार किया गया है, उन्हें छोड़ और किसी को अपने दाहिने और अपने बाएँ बैठाना मेरा काम नहीं।” यह सुनकर दसों याकूब और यूहन्ना पर रिसियाने लगे। तो यीशु ने उनको पास बुलाकर उनसे कहा, “तुम जानते हो कि जो अन्य जातियों के हाकिम समझे जाते हैं, वे उन पर प्रभुता करते हैं; और उनमें जो बड़े हैं, उन पर अधिकार जताते हैं। पर तुम में ऐसा नहीं है, वरन् जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने; और जो कोई तुम में प्रधान होना चाहे, वह सब का दास बने। क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया कि उसकी सेवा टहल की जाए, पर इसलिये आया कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिये अपना प्राण दे।”