मरकुस 1:21-39

मरकुस 1:21-39 HINOVBSI

तब वे कफरनहूम में आए, और वह तुरन्त सब्त के दिन आराधनालय में जाकर उपदेश करने लगा। और लोग उसके उपदेश से चकित हुए; क्योंकि वह उन्हें शास्त्रियों के समान नहीं, परन्तु अधिकारी के समान उपदेश देता था। उसी समय, उनके आराधनालय में एक मनुष्य था, जिसमें एक अशुद्ध आत्मा थी। उसने चिल्‍लाकर कहा, “हे यीशु नासरी, हमें तुझ से क्या काम? क्या तू हमें नष्‍ट करने आया है? मैं तुझे जानता हूँ, तू कौन है? परमेश्‍वर का पवित्र जन !” यीशु ने उसे डाँट कर कहा, “चुप रह; और उसमें से निकल जा।” तब अशुद्ध आत्मा उसको मरोड़कर, और बड़े शब्द से चिल्‍लाकर उसमें से निकल गई। इस पर सब लोग आश्‍चर्य करते हुए आपस में वाद–विवाद करने लगे, “यह क्या बात है? यह तो कोई नया उपदेश है! वह अधिकार के साथ अशुद्ध आत्माओं को भी आज्ञा देता है, और वे उसकी आज्ञा मानती हैं।” और उसका नाम तुरन्त गलील के आसपास के सारे प्रदेश में फैल गया। वह तुरन्त आराधनालय में से निकलकर, याकूब और यूहन्ना के साथ शमौन और अन्द्रियास के घर आया। शमौन की सास ज्‍वर से पीड़ित थी, और उन्होंने तुरन्त उसके विषय में उससे कहा। तब उसने पास जाकर उसका हाथ पकड़ के उसे उठाया; और उसका ज्‍वर उतर गया, और वह उनकी सेवा–टहल करने लगी। संध्या के समय जब सूर्य डूब गया तो लोग सब बीमारों को और उन्हें, जिनमें दुष्‍टात्माएँ थीं, उसके पास लाए। और सारा नगर द्वार पर इकट्ठा हुआ। उसने बहुतों को जो नाना प्रकार की बीमारियों से दु:खी थे, चंगा किया, बहुत सी दुष्‍टात्माओं को निकाला, और दुष्‍टात्माओं को बोलने न दिया, क्योंकि वे उसे पहचानती थीं। भोर को दिन निकलने से बहुत पहले, वह उठकर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहाँ प्रार्थना करने लगा। तब शमौन और उसके साथी उसकी खोज में गए। जब वह मिला, तो उससे कहा, “सब लोग तुझे ढूँढ़ रहे हैं।” उसने उनसे कहा, “आओ; हम और कहीं आसपास की बस्तियों में जाएँ, कि मैं वहाँ भी प्रचार करूँ, क्योंकि मैं इसी लिये निकला हूँ।” अत: वह सारे गलील में उनके आराधनालयों में जा जाकर प्रचार करता और दुष्‍टात्माओं को निकालता रहा।