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मत्ती 8:23, 24, 25, 26, 27, 28, 29, 30, 31, 32, 33, 34

मत्ती 8:23 HINOVBSI

जब वह नाव पर चढ़ा, तो उसके चेले उसके पीछे हो लिए।

मत्ती 8:24 HINOVBSI

और देखो, झील में एक ऐसा बड़ा तूफान उठा कि नाव लहरों से ढँकने लगी, और वह सो रहा था।

मत्ती 8:25 HINOVBSI

तब चेलों ने पास आकर उसे जगाया और कहा, “हे प्रभु, हमें बचा, हम नष्‍ट हुए जाते हैं।”

मत्ती 8:26 HINOVBSI

उसने उनसे कहा, “हे अल्पविश्‍वासियो, क्यों डरते हो?” तब उसने उठकर आँधी और पानी को डाँटा, और सब शान्त हो गया।

मत्ती 8:27 HINOVBSI

और वे अचम्भा करके कहने लगे, “यह कैसा मनुष्य है कि आँधी और पानी भी उसकी आज्ञा मानते हैं।”

मत्ती 8:28 HINOVBSI

जब वह उस पार गदरेनियों के देश में पहुँचा, तो दो मनुष्य जिनमें दुष्‍टात्माएँ थीं कब्रों से निकलते हुए उसे मिले। वे इतने प्रचण्ड थे कि कोई उस मार्ग से जा नहीं सकता था।

मत्ती 8:29 HINOVBSI

उन्होंने चिल्‍लाकर कहा, “हे परमेश्‍वर के पुत्र, हमारा तुझ से क्या काम? क्या तू समय से पहले हमें दु:ख देने यहाँ आया है?”

मत्ती 8:30 HINOVBSI

उनसे कुछ दूर बहुत से सूअरों का एक झुण्ड चर रहा था।

मत्ती 8:31 HINOVBSI

दुष्‍टात्माओं ने उससे यह कहकर विनती की, “यदि तू हमें निकालता है, तो सूअरों के झुण्ड में भेज दे।”

मत्ती 8:32 HINOVBSI

उसने उनसे कहा, “जाओ!” और वे निकलकर सूअरों में पैठ गईं और देखो, सारा झुण्ड कड़ाड़े पर से झपटकर पानी में जा पड़ा, और डूब मरा।

मत्ती 8:33 HINOVBSI

उनके चरवाहे भागे, और नगर में जाकर ये सब बातें और जिनमें दुष्‍टात्माएँ थीं उनका सारा हाल कह सुनाया।

मत्ती 8:34 HINOVBSI

तब सारे नगर के लोग यीशु से भेंट करने को निकल आए, और उसे देखकर विनती की कि हमारी सीमा से बाहर चला जा।