“जो मुझ से, ‘हे प्रभु! हे प्रभु!’ कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, ‘हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्चर्यकर्म नहीं किए?’ तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, ‘मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ।’ “इसलिये जो कोई मेरी ये बातें सुनकर उन्हें मानता है, वह उस बुद्धिमान मनुष्य के समान ठहरेगा जिसने अपना घर चट्टान पर बनाया। और मेंह बरसा, और बाढ़ें आईं, और आन्धियाँ चलीं, और उस घर से टकराईं, फिर भी वह नहीं गिरा, क्योंकि उसकी नींव चट्टान पर डाली गई थी। परन्तु जो कोई मेरी ये बातें सुनता है और उन पर नहीं चलता, वह उस निर्बुद्धि मनुष्य के समान ठहरेगा जिसने अपना घर बालू पर बनाया। और मेंह बरसा, और बाढ़ें आईं, और आन्धियाँ चलीं, और उस घर से टकराईं और वह गिरकर सत्यानाश हो गया।”
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