“अत: तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो: ‘हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए। ‘तेरा राज्य आए। तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।
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6 दिवस
एक सामर्थशाली और प्रभावी प्रार्थना जीवन के निर्माण के सिद्धांतों की खोज करें। प्रार्थना - व्यक्तिगत स्तर पर परमेश्वर के साथ एक संवाद - हमारे जीवन और परिवेश में सकारात्मक परिवर्तन देखने की कुंजी है। डेविड जे. स्वांत द्वारा लिखी गयी पुस्तक, "आउट ऑफ़ दिस वर्ल्ड: ए क्रिश्चियन्स गाइड टू ग्रोथ एंड पर्पस" से लिया गया।
7 दिन
यीशु ने कई विषयों की शिक्षा दी - स्थायी आशीषें, व्यभिचार, प्रार्थना, और भी कई। आज लोगों के लिए इनका क्या अर्थ है? एक संक्षिप्त वीडियो यीशु की एक शिक्षा को संदर्भ सहित प्रतिदिन की योजना के साथ दर्शाता है।
दस दिन
इस क्रम में पहाड़ी उपदेशों को देखा जाएगा (मत्ती 5-7)। इससे पाठक को पहाड़ी उपदेश को बेहतर तरीके से समझने में सहायता मिलेगी और उससे जुड़ी बातों को रोज़मर्रा के जीवन में लागू करने की समझ भी प्राप्त होगी ।
12 दिन
यीशु का अनुसरण करने वाले नए लोगों के लिए सबसे आम सवालों में से एक है, "अब मुझे क्या करना चाहिए?" उसे प्यार करना, उसकी आज्ञा मानना और विश्वासियों के समुदाय का हिस्सा बनना कैसा दिखता है? यह पठन योजना इस बात के लिए एक बाइबिल आधारित रूपरेखा देती है कि अपने व्यक्तिगत संबंध को यीशु के साथ और चर्च के मिशन के साथ कैसे एकीकृत किया जाए।
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