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मत्ती 5:24, 25, 26, 27, 28, 29, 30, 31, 32, 33, 34, 35, 36, 37, 38, 39, 40, 41, 42, 43, 44, 45, 46, 47, 48

मत्ती 5:24 HINOVBSI

तो अपनी भेंट वहीं वेदी के सामने छोड़ दे, और जाकर पहले अपने भाई से मेल मिलाप कर और तब आकर अपनी भेंट चढ़ा।

मत्ती 5:25 HINOVBSI

जब तक तू अपने मुद्दई के साथ मार्ग ही में है, उस से झटपट मेल मिलाप कर ले कहीं ऐसा न हो कि मुद्दई तुझे हाकिम को सौंपे, और हाकिम तुझे सिपाही को सौंप दे, और तू बन्दीगृह में डाल दिया जाए।

मत्ती 5:26 HINOVBSI

मैं तुझ से सच कहता हूँ कि जब तक तू कौड़ी–कौड़ी भर न दे तब तक वहाँ से छूटने न पाएगा।

मत्ती 5:27 HINOVBSI

“तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, ‘व्यभिचार न करना।’

मत्ती 5:28 HINOVBSI

परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ, कि जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्‍टि डाले वह अपने मन में उस से व्यभिचार कर चुका।

मत्ती 5:29 HINOVBSI

यदि तेरी दाहिनी आँख तुझे ठोकर खिलाए, तो उसे निकालकर फेंक दे; क्योंकि तेरे लिये यही भला है कि तेरे अंगों में से एक नष्‍ट हो जाए और तेरा सारा शरीर नरक में न डाला जाए।

मत्ती 5:30 HINOVBSI

यदि तेरा दाहिना हाथ तुझे ठोकर खिलाए, तो उस को काटकर फेंक दे; क्योंकि तेरे लिये यही भला है कि तेरे अंगों में से एक नष्‍ट हो जाए और तेरा सारा शरीर नरक में न डाला जाए।

मत्ती 5:31 HINOVBSI

“यह भी कहा गया था, ‘जो कोई अपनी पत्नी को तलाक देना चाहे, तो उसे त्यागपत्र दे।’

मत्ती 5:32 HINOVBSI

परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ कि जो कोई अपनी पत्नी को व्यभिचार के सिवा किसी और कारण से तलाक दे, तो वह उससे व्यभिचार करवाता है; और जो कोई उस त्यागी हुई से विवाह करे, वह व्यभिचार करता है।

मत्ती 5:33 HINOVBSI

“फिर तुम सुन चुके हो कि पूर्वकाल के लोगों से कहा गया था, ‘झूठी शपथ न खाना, परन्तु प्रभु के लिये अपनी शपथ को पूरी करना।’

मत्ती 5:34 HINOVBSI

परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ कि कभी शपथ न खाना; न तो स्वर्ग की, क्योंकि वह परमेश्‍वर का सिंहासन है

मत्ती 5:35 HINOVBSI

न धरती की, क्योंकि वह उसके पाँवों की चौकी है; न यरूशलेम की, क्योंकि वह महाराजा का नगर है।

मत्ती 5:36 HINOVBSI

अपने सिर की भी शपथ न खाना क्योंकि तू एक बाल को भी न उजला, न काला कर सकता है।

मत्ती 5:37 HINOVBSI

परन्तु तुम्हारी बात ‘हाँ’ की ‘हाँ,’ या ‘नहीं’ की ‘नहीं’ हो; क्योंकि जो कुछ इस से अधिक होता है वह बुराई से होता है।

मत्ती 5:38 HINOVBSI

“तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, ‘आँख के बदले आँख, और दाँत के बदले दाँत।’

मत्ती 5:39 HINOVBSI

परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ कि बुरे का सामना न करना; परन्तु जो कोई तेरे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे, उसकी ओर दूसरा भी फेर दे।

मत्ती 5:40 HINOVBSI

यदि कोई तुझ पर नालिश करके तेरा कुरता लेना चाहे, तो उसे दोहर भी ले लेने दे।

मत्ती 5:41 HINOVBSI

जो कोई तुझे कोस भर बेगार में ले जाए, तो उसके साथ दो कोस चला जा।

मत्ती 5:42 HINOVBSI

जो कोई तुझ से माँगे, उसे दे; और जो तुझ से उधार लेना चाहे, उससे मुँह न मोड़।

मत्ती 5:43 HINOVBSI

“तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, ‘अपने पड़ोसी से प्रेम रखना, और अपने बैरी से बैर।’

मत्ती 5:44 HINOVBSI

परन्तु मैं तुमसे यह कहता हूँ कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सतानेवालों के लिए प्रार्थना करो

मत्ती 5:45 HINOVBSI

जिस से तुम अपने स्वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे क्योंकि वह भले और बुरे दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है, और धर्मी और अधर्मी दोनों पर मेंह बरसाता है।

मत्ती 5:46 HINOVBSI

क्योंकि यदि तुम अपने प्रेम रखनेवालों ही से प्रेम रखो, तो तुम्हारे लिये क्या फल होगा? क्या महसूल लेनेवाले भी ऐसा ही नहीं करते?

मत्ती 5:47 HINOVBSI

“यदि तुम केवल अपने भाइयों ही को नमस्कार करो, तो कौन सा बड़ा काम करते हो? क्या अन्यजाति भी ऐसा नहीं करते?

मत्ती 5:48 HINOVBSI

इसलिये चाहिये कि तुम सिद्ध बनो, जैसा तुम्हारा स्वर्गीय पिता सिद्ध है।