सब्त के दिन के बाद सप्ताह के पहले दिन पौ फटते ही मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम कब्र को देखने आईं। और देखो, एक बड़ा भूकम्प हुआ, क्योंकि प्रभु का एक दूत स्वर्ग से उतरा और पास आकर उसने पत्थर को लुढ़का दिया, और उस पर बैठ गया। उसका रूप बिजली का सा और उसका वस्त्र पाले के समान उज्ज्वल था। उसके भय से पहरुए काँप उठे, और मृतक समान हो गए। स्वर्गदूत ने स्त्रियों से कहा, “मत डरो, मैं जानता हूँ कि तुम यीशु को जो क्रूस पर चढ़ाया गया था ढूँढ़ती हो। वह यहाँ नहीं है, परन्तु अपने वचन के अनुसार जी उठा है। आओ, यह स्थान देखो, जहाँ प्रभु पड़ा था, और शीघ्र जाकर उसके चेलों से कहो कि वह मृतकों में से जी उठा है, और वह तुमसे पहले गलील को जाता है, वहाँ उसका दर्शन पाओगे! देखो, मैं ने तुम से कह दिया।” वे भय और बड़े आनन्द के साथ कब्र से शीघ्र लौटकर उसके चेलों को समाचार देने के लिए दौड़ गईं। तब यीशु उन्हें मिला। और कहा, “सलाम”। उन्होंने पास आकर और उसके पाँव पकड़कर उसको दण्डवत् किया। तब यीशु ने उनसे कहा, “मत डरो; मेरे भाइयों से जाकर कहो कि गलील को चले जाएँ, वहाँ मुझे देखेंगे।” वे जा ही रही थीं कि पहरुओं में से कुछ ने नगर में आकर पूरा हाल प्रधान याजकों से कह सुनाया। तब उन्होंने पुरनियों के साथ इकट्ठे होकर सम्मति की और सिपाहियों को बहुत चाँदी देकर कहा, “यह कहना कि रात को जब हम सो रहे थे, तो उसके चेले आकर उसे चुरा ले गए। और यदि यह बात हाकिम के कान तक पहुँचेगी, तो हम उसे समझा लेंगे और तुम्हें जोखिम से बचा लेंगे।” अत: उन्होंने रुपए लेकर जैसा सिखाए गए थे, वैसा ही किया। यह बात आज तक यहूदियों में प्रचलित है।
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