मत्ती 27:45-56

मत्ती 27:45-56 HINOVBSI

दोपहर से लेकर तीसरे पहर तक उस सारे देश में अन्धेरा छाया रहा। तीसरे पहर के निकट यीशु ने बड़े शब्द से पुकारकर कहा, “एली, एली, लमा शबक्‍तनी?” अर्थात् “हे मेरे परमेश्‍वर, हे मेरे परमेश्‍वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?” जो वहाँ खड़े थे, उनमें से कितनों ने यह सुनकर कहा, “वह तो एलिय्याह को पुकारता है।” उनमें से एक तुरन्त दौड़ा, और स्पंज लेकर सिरके में डुबोया, और सरकण्डे पर रखकर उसे चुसाया। औरों ने कहा, “रह जाओ, देखें एलिय्याह उसे बचाने आता है कि नहीं।” तब यीशु ने फिर बड़े शब्द से चिल्‍लाकर प्राण छोड़ दिए। और देखो, मन्दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फटकर दो टुकड़े हो गया : और धरती डोल गई और चट्टानें तड़क गईं, और कब्रें खुल गईं, और सोए हुए पवित्र लोगों के बहुत से शव जी उठे, और उसके जी उठने के बाद वे कब्रों में से निकलकर पवित्र नगर में गए और बहुतों को दिखाई दिए। तब सूबेदार और जो उसके साथ यीशु का पहरा दे रहे थे, भूकम्प और जो कुछ हुआ था उसे देखकर अत्यन्त डर गये और कहा, “सचमुच यह परमेश्‍वर का पुत्र था!” वहाँ बहुत सी स्त्रियाँ जो गलील से यीशु की सेवा करती हुई उसके साथ आई थीं, दूर से यह देख रही थीं। उनमें मरियम मगदलीनी, और याकूब और योसेस की माता मरियम, और जब्दी के पुत्रों की माता थीं।

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