जब भोर हुई तो सब प्रधान याजकों और लोगों के पुरनियों ने यीशु को मार डालने की सम्मति की। उन्होंने उसे बाँधा और ले जाकर पिलातुस हाकिम के हाथ में सौंप दिया।
जब उसके पकड़वानेवाले यहूदा ने देखा कि वह दोषी ठहराया गया है तो वह पछताया और वे तीस चाँदी के सिक्के प्रधान याजकों और पुरनियों के पास फेर लाया और कहा, “मैं ने निर्दोष को घात के लिए पकड़वाकर पाप किया है!” उन्होंने कहा, “हमें क्या? तू ही जान।” तब वह उन सिक्कों को मन्दिर में फेंककर चला गया, और जाकर अपने आप को फाँसी दी।
प्रधान याजकों ने उन सिक्कों को लेकर कहा, “इन्हें, भण्डार में रखना उचित नहीं, क्योंकि यह लहू का दाम है।” अत: उन्होंने सम्मति करके उन सिक्कों से परदेशियों के गाड़े जाने के लिए कुम्हार का खेत मोल ले लिया। इस कारण वह खेत आज तक लहू का खेत कहलाता है। तब जो वचन यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था वह पूरा हुआ : “उन्होंने वे तीस सिक्के अर्थात् उस ठहराए हुए मूल्य को (जिसे इस्राएल की सन्तान में से कितनों ने ठहराया था) ले लिया*, और जैसे प्रभु ने मुझे आज्ञा दी थी वैसे ही उन्हें कुम्हार के खेत के मूल्य में दे दिया।”
जब यीशु हाकिम के सामने खड़ा था तो हाकिम ने उससे पूछा, “क्या तू यहूदियों का राजा है?” यीशु ने उससे कहा, “तू आप ही कह रहा है।” जब प्रधान याजक और पुरनिए उस पर दोष लगा रहे थे, तो उसने कुछ उत्तर नहीं दिया। इस पर पिलातुस ने उससे कहा, “क्या तू नहीं सुनता कि ये तेरे विरोध में कितनी गवाहियाँ दे रहे हैं?” परन्तु उसने उसको एक बात का भी उत्तर नहीं दिया, यहाँ तक कि हाकिम को बड़ा आश्चर्य हुआ।
हाकिम की यह रीति थी कि उस पर्व में लोगों के लिये किसी एक बन्दी को जिसे वे चाहते थे, छोड़ देता था। उस समय उनके यहाँ बरअब्बा नामक एक माना हुआ बन्दी था। अत: जब वे इकट्ठा हुए, तो पिलातुस ने उनसे कहा, “तुम किसको चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये छोड़ दूँ? बरअब्बा को, या यीशु को जो मसीह कहलाता है?” क्योंकि वह जानता था कि उन्होंने उसे डाह से पकड़वाया है। जब वह न्याय की गद्दी पर बैठा हुआ था तो उसकी पत्नी ने उसे कहला भेजा, “तू उस धर्मी के मामले में हाथ न डालना, क्योंकि मैं ने आज स्वप्न में उसके कारण बहुत दु:ख उठाया है।”
प्रधान याजकों और पुरनियों ने लोगों को उभारा कि वे बरअब्बा को माँग लें, और यीशु का नाश कराएँ। हाकिम ने उनसे पूछा, “इन दोनों में से किस को चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये छोड़ दूँ?” उन्होंने कहा, “बरअब्बा को।” पिलातुस ने उनसे पूछा, “फिर यीशु को, जो मसीह कहलाता है, क्या करूँ?” सब ने उससे कहा, “वह क्रूस पर चढ़ाया जाए!” हाकिम ने कहा, “क्यों, उसने क्या बुराई की है?” परन्तु वे और भी चिल्ला–चिल्लाकर कहने लगे, “वह क्रूस पर चढ़ाया जाए।” जब पिलातुस ने देखा कि कुछ बन नहीं पड़ता परन्तु इसके विपरीत हुल्लड़ बढ़ता जाता है, तो उसने पानी लेकर भीड़ के सामने अपने हाथ धोए और कहा, “मैं इस धर्मी के लहू से निर्दोष हूँ; तुम ही जानो।” सब लोगों ने उत्तर दिया, “इसका लहू हम पर और हमारी सन्तान पर हो!” इस पर उसने बरअब्बा को उनके लिये छोड़ दिया, और यीशु को कोड़े लगवाकर सौंप दिया, कि क्रूस पर चढ़ाया जाए।
तब हाकिम के सिपाहियों ने यीशु को किले में ले जाकर सारी पलटन उसके चारों ओर इकट्ठी की, और उसके कपड़े उतारकर उसे लाल रंग का बागा पहिनाया, और काँटों का मुकुट गूँथकर उसके सिर पर रखा, और उसके दाहिने हाथ में सरकण्डा दिया और उसके आगे घुटने टेककर उसे ठट्ठों में उड़ाने लगे और कहा, “हे यहूदियों के राजा, नमस्कार!” और उस पर थूका; और वही सरकण्डा लेकर उसके सिर पर मारने लगे। जब वे उसका ठट्ठा कर चुके, तो वह बागा उस पर से उतारकर फिर उसी के कपड़े उसे पहिनाए, और क्रूस पर चढ़ाने के लिये ले चले।