मत्ती 26:57-75

मत्ती 26:57-75 HINOVBSI

तब यीशु के पकड़नेवाले उसको काइफा नामक महायाजक के पास ले गए, जहाँ शास्त्री और पुरनिए इकट्ठा हुए थे। पतरस दूर ही दूर उसके पीछे–पीछे महायाजक के आँगन तक गया, और भीतर जाकर अन्त देखने को प्यादों के साथ बैठ गया। प्रधान याजक और सारी महासभा यीशु को मार डालने के लिये उसके विरोध में झूठी गवाही की खोज में थे, परन्तु बहुत से झूठे गवाहों के आने पर भी न पाई। अन्त में दो जन आए, और कहा, “इसने कहा है कि मैं परमेश्‍वर के मन्दिर को ढा सकता हूँ और उसे तीन दिन में बना सकता हूँ।” तब महायाजक ने खड़े होकर यीशु से कहा, “क्या तू कोई उत्तर नहीं देता? ये लोग तेरे विरोध में क्या गवाही देते हैं?” परन्तु यीशु चुप रहा। तब महायाजक ने उससे कहा, “मैं तुझे जीवते परमेश्‍वर की शपथ देता हूँ कि यदि तू परमेश्‍वर का पुत्र मसीह है, तो हम से कह दे।” यीशु ने उससे कहा, “तू ने आप ही कह दिया; वरन् मैं तुम से यह भी कहता हूँ कि अब से तुम मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्‍तिमान के दाहिनी ओर बैठे, और आकाश के बादलों पर आते देखोगे।” इस पर महायाजक ने अपने वस्त्र फाड़े और कहा, “इसने परमेश्‍वर की निन्दा की है, अब हमें गवाहों का क्या प्रयोजन? देखो, तुम ने अभी यह निन्दा सुनी है! तुम क्या सोचते हो?” उन्होंने उत्तर दिया, “यह वध होने के योग्य है।” तब उन्होंने उसके मुँह पर थूका और उसे घूँसे मारे, दूसरों ने थप्पड़ मार के कहा, “हे मसीह, हम से भविष्यद्वाणी करके कह कि किसने तुझे मारा?” पतरस बाहर आँगन में बैठा हुआ था कि एक दासी उसके पास आई और कहा, “तू भी यीशु गलीली के साथ था।” उसने सब के सामने यह कहते हुए इन्कार किया, “मैं नहीं जानता तू क्या कह रही है।” जब वह बाहर डेवढ़ी में गया, तो दूसरी दासी ने उसे देखकर उनसे जो वहाँ थे कहा, “यह भी तो यीशु नासरी के साथ था।” उसने शपथ खाकर फिर इन्कार किया : “मैं उस मनुष्य को नहीं जानता।” थोड़ी देर बाद लोगों ने जो वहाँ खड़े थे, पतरस के पास आकर उससे कहा, “सचमुच तू भी उनमें से एक है, क्योंकि तेरी बोली तेरा भेद खोल देती है।” तब वह धिक्‍कारने और शपथ खाने लगा : “मैं उस मनुष्य को नहीं जानता।” और तुरन्त मुर्ग़ ने बाँग दी। तब पतरस को यीशु की कही हुई बात स्मरण हो आई : “मुर्ग़ के बाँग देने से पहले तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा।” और वह बाहर जाकर फूट फूट कर रोया।