तब राजा अपनी दाहिनी ओर वालों से कहेगा, ‘हे मेरे पिता के धन्य लोगो, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया गया है। क्योंकि मैं भूखा था, और तुमने मुझे खाने को दिया; मैं प्यासा था, और तुमने मुझे पानी पिलाया; मैं परदेशी था, और तुम ने मुझे अपने घर में ठहराया; मैं नंगा था, और तुमने मुझे कपड़े पहिनाए; मैं बीमार था, और तुमने मेरी सुधि ली, मैं बन्दीगृह में था, और तुम मुझसे मिलने आए।’ “तब धर्मी उसको उत्तर देंगे, ‘हे प्रभु, हम ने कब तुझे भूखा देखा और खिलाया? या प्यासा देखा और पानी पिलाया? हमने कब तुझे परदेशी देखा और अपने घर में ठहराया? या नंगा देखा और कपड़े पहिनाए? हमने कब तुझे बीमार या बन्दीगृह में देखा और तुझसे मिलने आए?’ तब राजा उन्हें उत्तर देगा, ‘मैं तुम से सच कहता हूँ कि तुमने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया।’
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खुले दरवाजे और खुले दिल के साथ, हम दूसरों का ऐसी जगह पर स्वागत कर सकते हैं जहां उन्हें देखा जा सकता है, जहां उन्हें प्यार और महत्व दिया जाता है। इस आठ दिवसीय श्रृंखला में, बाइबल में पाए जाने वाले आतिथ्य के उदाहरणों को देखें और विचार करें कि आप अपने जीवन में आतिथ्य का अभ्यास कैसे अच्छी तरह से कर सकते हैं।
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