मत्ती 13:44-52

मत्ती 13:44-52 HINOVBSI

“स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने पाया और छिपा दिया, और मारे आनन्द के जाकर अपना सब कुछ बेच दिया और उस खेत को मोल ले लिया। “फिर स्वर्ग का राज्य एक व्यापारी के समान है जो अच्छे मोतियों की खोज में था। जब उसे एक बहुमूल्य मोती मिला तो उसने जाकर अपना सब कुछ बेच डाला और उसे मोल ले लिया। “फिर स्वर्ग का राज्य उस बड़े जाल के समान है जो समुद्र में डाला गया, और हर प्रकार की मछलियों को समेट लाया। और जब जाल भर गया, तो मछुए उसको किनारे पर खींच लाए, और बैठकर अच्छी–अच्छी तो बर्तनों में इकट्ठा कीं और निकम्मी निकम्मी फेंक दीं। जगत के अन्त में ऐसा ही होगा। स्वर्गदूत आकर दुष्‍टों को धर्मियों से अलग करेंगे, और उन्हें आग के कुण्ड में डालेंगे। जहाँ रोना और दाँत पीसना होगा। “क्या तुम ने ये सब बातें समझीं?” उन्होंने उससे कहा, “हाँ।” उसने उनसे कहा, “इसलिये हर एक शास्त्री जो स्वर्ग के राज्य का चेला बना है, उस गृहस्थ के समान है जो अपने भण्डार से नई और पुरानी वस्तुएँ निकालता है।”

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