दूसरे दिन जब वे पहाड़ से उतरे तो एक बड़ी भीड़ उस से आ मिली। और देखो, भीड़ में से एक मनुष्य ने चिल्ला कर कहा, “हे गुरु, मैं तुझ से विनती करता हूँ कि मेरे पुत्र पर कृपादृष्टि कर; क्योंकि वह मेरा एकलौता है। और देख, एक दुष्टात्मा उसे पकड़ती है, और वह एकाएक चिल्ला उठता है; और वह उसे ऐसा मरोड़ती है कि वह मुँह में फेन भर लाता है; और उसे कुचलकर कठिनाई से छोड़ती है। मैं ने तेरे चेलों से विनती की कि उसे निकालें, परन्तु वे न निकाल सके।” यीशु ने उत्तर दिया, “हे अविश्वासी और हठीले लोगो, मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूँगा और तुम्हारी सहूँगा? अपने पुत्र को यहाँ ले आ।” वह आ ही रहा था कि दुष्टात्मा ने उसे पटककर मरोड़ा, परन्तु यीशु ने अशुद्ध आत्मा को डाँटा और लड़के को अच्छा करके उसके पिता को सौंप दिया। तब सब लोग परमेश्वर के महासामर्थ्य से चकित हुए।
परन्तु जब सब लोग उन सब कामों से जो वह करता था, अचम्भित थे, तो उसने अपने चेलों से कहा, “तुम इन बातों पर कान दो, क्योंकि मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथ में पकड़वाया जाने को है।” परन्तु वे इस बात को न समझते थे, और यह उनसे छिपी रही कि वे उसे जानने न पाएँ; और वे इस बात के विषय में उससे पूछने से डरते थे।
फिर उनमें यह विवाद होने लगा कि हम में से बड़ा कौन है। पर यीशु ने उनके मन का विचार जान लिया, और एक बालक को लेकर अपने पास खड़ा किया, और उनसे कहा, “जो कोई मेरे नाम से इस बालक को ग्रहण करता है, वह मुझे ग्रहण करता है; और जो कोई मुझे ग्रहण करता है, वह मेरे भेजनेवाले को ग्रहण करता है, क्योंकि जो तुम में सबसे छोटे से छोटा है, वही बड़ा है।”
तब यूहन्ना ने कहा, “हे स्वामी, हम ने एक मनुष्य को तेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालते देखा, और हम ने उसे मना किया, क्योंकि वह हमारे साथ होकर तेरे पीछे नहीं हो लेता।” यीशु ने उससे कहा, “उसे मना मत करो; क्योंकि जो तुम्हारे विरोध में नहीं, वह तुम्हारी ओर है।”
जब उसके ऊपर उठाए जाने के दिन पूरे होने पर थे, तो उसने यरूशलेम जाने का विचार दृढ़ किया। उसने अपने आगे दूत भेजे। वे सामरियों के एक गाँव में गए कि उसके लिए जगह तैयार करें। परन्तु उन लोगों ने उसे उतरने न दिया, क्योंकि वह यरूशलेम जा रहा था। यह देखकर उसके चेले याकूब और यूहन्ना ने कहा, “हे प्रभु, क्या तू चाहता है कि हम आज्ञा दें, कि आकाश से आग गिरकर उन्हें भस्म कर दे?” परन्तु उसने फिरकर उन्हें डाँटा [और कहा, “तुम नहीं जानते कि तुम कैसी आत्मा के हो। क्योंकि मनुष्य का पुत्र लोगों के प्राणों का नाश करने नहीं वरन् बचाने के लिए आया है।”] और वे किसी दूसरे गाँव में चले गए।
जब वे मार्ग में जा रहे थे, तो किसी ने उससे कहा, “जहाँ–जहाँ तू जाएगा, मैं तेरे पीछे हो लूँगा।” यीशु ने उससे कहा, “लोमड़ियों के भट और आकाश के पक्षियों के बसेरे होते हैं, पर मनुष्य के पुत्र को सिर धरने की भी जगह नहीं।” उसने दूसरे से कहा, “मेरे पीछे हो ले।” उसने कहा, “हे प्रभु, मुझे पहले जाने दे कि अपने पिता को गाड़ दूँ।” उसने उससे कहा, “मरे हुओं को अपने मुरदे गाड़ने दे, पर तू जाकर परमेश्वर के राज्य की कथा सुना।” एक और ने भी कहा, “हे प्रभु, मैं तेरे पीछे हो लूँगा; पर पहले मुझे जाने दे कि अपने घर के लोगों से विदा ले आऊँ।” यीशु ने उस से कहा, “जो कोई अपना हाथ हल पर रखकर पीछे देखता है, वह परमेश्वर के राज्य के योग्य नहीं।”