लूका 9:10-17

लूका 9:10-17 HINOVBSI

फिर प्रेरितों ने लौटकर जो कुछ उन्होंने किया था, उसको बता दिया; और वह उन्हें अलग करके बैतसैदा नामक नगर को ले गया। यह जानकर भीड़ उसके पीछे हो ली, और वह आनन्द के साथ उनसे मिला, और उनसे परमेश्‍वर के राज्य की बातें करने लगा, और जो चंगे होना चाहते थे उन्हें चंगा किया। जब दिन ढलने लगा तो बारहों ने आकर उससे कहा, “भीड़ को विदा कर कि चारों ओर के गाँवों और बस्तियों में जाकर टिकें और भोजन का उपाय करें, क्योंकि हम यहाँ सुनसान जगह में हैं।” उसने उनसे कहा, “तुम ही उन्हें खाने को दो।” उन्होंने कहा, “हमारे पास पाँच रोटी और दो मछलियों को छोड़ और कुछ नहीं; परन्तु हाँ, यदि हम जाकर इन सब लोगों के लिये भोजन मोल लें, तो हो सकता है।” वे लोग तो पाँच हज़ार पुरुषों के लगभग थे। तब उसने अपने चेलों से कहा, “उन्हें पचास–पचास करके पाँति–पाँति बैठा दो।” उन्होंने ऐसा ही किया, और सब को बैठा दिया। तब उसने वे पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लीं, और स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया, और तोड़–तोड़कर चेलों को देता गया कि लोगों को परोसें। तब सब खाकर तृप्‍त हुए, और चेलों ने बचे हुए टुकड़ों से बारह टोकरियाँ भरकर उठाईं।

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