जब भीड़ परमेश्वर का वचन सुनने के लिये उस पर गिरी पड़ती थी, और वह गन्नेसरत की झील के किनारे पर खड़ा था, तो ऐसा हुआ कि उसने झील के किनारे दो नावें लगी हुई देखीं, और मछुवे उन पर से उतरकर जाल धो रहे थे। उन नावों में से एक पर, जो शमौन की थी, चढ़कर उसने उससे विनती की कि किनारे से थोड़ा हटा ले चले। तब वह बैठकर लोगों को नाव पर से उपदेश देने लगा। जब वह बातें कर चुका तो शमौन से कहा, “गहरे में ले चल, और मछलियाँ पकड़ने के लिये अपने जाल डालो।” शमौन ने उसको उत्तर दिया, “हे स्वामी, हम ने सारी रात मेहनत की और कुछ न पकड़ा; तौभी तेरे कहने से जाल डालूँगा।” जब उन्होंने ऐसा किया, तो बहुत मछलियाँ घेर लाए, और उनके जाल फटने लगे। इस पर उन्होंने अपने साथियों को जो दूसरी नाव पर थे, संकेत किया कि आकर हमारी सहायता करो, और उन्होंने आकर दोनों नावें यहाँ तक भर लीं कि वे डूबने लगीं। यह देखकर शमौन पतरस यीशु के पाँवों पर गिरा और कहा, “हे प्रभु, मेरे पास से जा, क्योंकि मैं पापी मनुष्य हूँ!” क्योंकि इतनी मछलियों के पकड़े जाने से उसे और उसके साथियों को बहुत अचम्भा हुआ, और वैसे ही जब्दी के पुत्र याकूब और यूहन्ना को भी, जो शमौन के सहभागी थे, अचम्भा हुआ। तब यीशु ने शमौन से कहा, “मत डर; अब से तू मनुष्यों को जीवता पकड़ा करेगा।” और वे नावों को किनारे पर ले आए और सब कुछ छोड़कर उसके पीछे हो लिए।
जब वह किसी नगर में था, तो वहाँ कोढ़ से भरा हुआ एक मनुष्य आया; और वह यीशु को देखकर मुँह के बल गिरा और विनती की, “हे प्रभु, यदि तू चाहे तो मुझे शुद्ध कर सकता है।” उसने हाथ बढ़ाकर उसे छुआ और कहा, “मैं चाहता हूँ, तू शुद्ध हो जा।” और उसका कोढ़ तुरन्त जाता रहा। तब उसने उसे चिताया, “किसी से न कह, परन्तु जा के अपने आप को याजक को दिखा, और अपने शुद्ध होने के विषय में जो कुछ मूसा ने चढ़ावा ठहराया है उसे चढ़ा कि उन पर गवाही हो।” परन्तु उसकी चर्चा और भी फैलती गई, और भीड़ की भीड़ उसकी सुनने के लिये और अपनी बीमारियों से चंगा होने के लिये इकट्ठी हुई। परन्तु वह जंगलों में अलग जाकर प्रार्थना किया करता था।