फिर यीशु पवित्र आत्मा से भरा हुआ, यरदन से लौटा; और चालीस दिन तक आत्मा के सिखाने से जंगल में फिरता रहा; और शैतान उसकी परीक्षा करता रहा। उन दिनों में उसने कुछ न खाया, और जब वे दिन पूरे हो गए, तो उसे भूख लगी। तब शैतान ने उससे कहा, “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो इस पत्थर से कह, कि रोटी बन जाए।” यीशु ने उसे उत्तर दिया, “लिखा है : ‘मनुष्य केवल रोटी से जीवित न रहेगा’।” तब शैतान उसे ले गया और उसको पल भर में जगत के सारे राज्य दिखाए, और उससे कहा, “मैं यह सब अधिकार, और इनका वैभव तुझे दूँगा, क्योंकि वह मुझे सौंपा गया है : और जिसे चाहता हूँ उसी को दे देता हूँ। इसलिये यदि तू मुझे प्रणाम करे, तो यह सब तेरा हो जाएगा।” यीशु ने उसे उत्तर दिया, “लिखा है : ‘तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर; और केवल उसी की उपासना कर’।” तब उसने उसे यरूशलेम में ले जाकर मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया, और उस से कहा, “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को यहाँ से नीचे गिरा दे। क्योंकि लिखा है : ‘वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा, कि वे तेरी रक्षा करें,’ और ‘वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे, ऐसा न हो कि तेरे पाँव में पत्थर से ठेस लगे’।” यीशु ने उसको उत्तर दिया, “यह भी कहा गया है : ‘तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न करना’।” जब शैतान सब परीक्षा कर चुका, तब कुछ समय के लिये उसके पास से चला गया। फिर यीशु आत्मा की सामर्थ्य से भरा हुआ गलील को लौटा, और उसकी चर्चा आस पास के सारे देश में फैल गई। वह उनके आराधनालयों में उपदेश करता रहा, और सब उसकी बड़ाई करते थे।
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