यह सुनकर पिलातुस ने पूछा, “क्या यह मनुष्य गलीली है?” और यह जानकर कि वह हेरोदेस की रियासत का है, उसे हेरोदेस के पास भेज दिया, क्योंकि उन दिनों में वह भी यरूशलेम में था। हेरोदेस यीशु को देखकर बहुत ही प्रसन्न हुआ, क्योंकि वह बहुत दिनों से उस को देखना चाहता था; इसलिये कि उसके विषय में सुना था, और उससे कुछ चिह्न देखने की आशा रखता था। वह उससे बहुत सी बातें पूछता रहा, पर उसने उसको कुछ भी उत्तर न दिया। प्रधान याजक और शास्त्री खड़े हुए तन मन से उस पर दोष लगाते रहे। तब हेरोदेस ने अपने सिपाहियों के साथ उसका अपमान करके ठट्ठों में उड़ाया, और भड़कीला वस्त्र पहिनाकर उसे पिलातुस के पास लौटा दिया। उसी दिन पिलातुस और हेरोदेस मित्र हो गए; इसके पहले वे एक दूसरे के बैरी थे। पिलातुस ने प्रधान याजकों और सरदारों और लोगों को बुलाकर उनसे कहा, “तुम इस मनुष्य को लोगों का बहकानेवाला ठहराकर मेरे पास लाए हो, और देखो, मैं ने तुम्हारे सामने उसकी जाँच की, पर जिन बातों का तुम उस पर दोष लगाते हो उन बातों के विषय में मैं ने उसमें कुछ भी दोष नहीं पाया है; न हेरोदेस ने, क्योंकि उसने उसे हमारे पास लौटा दिया है : और देखो, उससे ऐसा कुछ नहीं हुआ कि वह मृत्यु के दण्ड के योग्य ठहराया जाए। इसलिये मैं उसे पिटवाकर छोड़ देता हूँ।”
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