लूका 22:1-34

लूका 22:1-34 HINOVBSI

अखमीरी रोटी का पर्व जो फसह कहलाता है, निकट था; और प्रधान याजक और शास्त्री इस बात की खोज में थे कि उसको कैसे मार डालें, पर वे लोगों से डरते थे। तब शैतान यहूदा में समाया, जो इस्करियोती कहलाता और बारह चेलों में गिना जाता था। उसने जाकर प्रधान याजकों और पहरुओं के सरदारों के साथ बातचीत की कि उसको किस प्रकार उनके हाथ पकड़वाए। वे आनन्दित हुए, और उसे रुपये देने का वचन दिया। उसने मान लिया, और अवसर ढूँढ़ने लगा कि जब भीड़ न हो तो उसे उनके हाथ पकड़वा दे। तब अखमीरी रोटी के पर्व का दिन आया, जिसमें फसह का मेम्ना बलि करना आवश्यक था। यीशु ने पतरस और यूहन्ना को यह कहकर भेजा : “जाकर हमारे खाने के लिये फसह तैयार करो।” उन्होंने उससे पूछा, “तू कहाँ चाहता है कि हम इसे तैयार करें?” उसने उनसे कहा, “देखो, नगर में प्रवेश करते ही एक मनुष्य जल का घड़ा उठाए हुए तुम्हें मिलेगा; जिस घर में वह जाए तुम उसके पीछे चले जाना, और उस घर के स्वामी से कहना : ‘गुरु तुझ से कहता है कि वह पाहुनशाला कहाँ है जिसमें मैं अपने चेलों के साथ फसह खाऊँ?’ वह तुम्हें एक सजी–सजाई बड़ी अटारी दिखा देगा; वहीं तैयारी करना। उन्होंने जाकर, जैसा उसने उनसे कहा था, वैसा ही पाया और फसह तैयार किया। जब घड़ी आ पहुँची, तो वह प्रेरितों के साथ भोजन करने बैठा। और उसने उनसे कहा, “मुझे बड़ी लालसा थी कि दु:ख भोगने से पहले यह फसह तुम्हारे साथ खाऊँ। क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ कि जब तक वह परमेश्‍वर के राज्य में पूरा न हो तब तक मैं उसे कभी न खाऊँगा।” तब उसने कटोरा लेकर धन्यवाद किया और कहा, “इस को लो और आपस में बाँट लो। क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ कि जब तक परमेश्‍वर का राज्य न आए तब तक मैं दाख का रस अब से कभी न पीऊँगा।” फिर उसने रोटी ली, और धन्यवाद करके तोड़ी, और उनको यह कहते हुए दी, “यह मेरी देह है जो तुम्हारे लिये दी जाती है : मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” इसी रीति से उसने भोजन के बाद कटोरा भी यह कहते हुए दिया, “यह कटोरा मेरे उस लहू में जो तुम्हारे लिये बहाया जाता है नई वाचा है। पर देखो, मेरे पकड़वानेवाले का हाथ मेरे साथ मेज पर है। क्योंकि मनुष्य का पुत्र तो जैसा उसके लिये ठहराया गया जाता ही है, पर हाय उस मनुष्य पर जिसके द्वारा वह पकड़वाया जाता है!” तब वे आपस में पूछताछ करने लगे कि हम में से कौन है, जो यह काम करेगा। उनमें यह वाद–विवाद भी हुआ कि उन में से कौन बड़ा समझा जाता है। उसने उनसे कहा, “अन्यजातियों के राजा उन पर प्रभुता करते हैं; और जो उन पर अधिकार रखते हैं, वे उपकारक कहलाते हैं।* परन्तु तुम ऐसे न होना; वरन् जो तुम में बड़ा है, वह छोटे के समान और जो प्रधान है, वह सेवक के समान बने। क्योंकि बड़ा कौन है, वह जो भोजन पर बैठा है, या वह जो सेवा करता है? क्या वह नहीं जो भोजन पर बैठा है? परन्तु मैं तुम्हारे बीच में सेवक के समान हूँ। “तुम वह हो, जो मेरी परीक्षाओं में लगातार मेरे साथ रहे; और जैसे मेरे पिता ने मेरे लिये एक राज्य ठहराया है, वैसे ही मैं भी तुम्हारे लिये ठहराता हूँ, ताकि तुम मेरे राज्य में मेरी मेज पर खाओ–पिओ, वरन् सिंहासनों पर बैठकर इस्राएल के बारह गोत्रों का न्याय करो। “शमौन, हे शमौन! देख, शैतान ने तुम लोगों को माँग लिया है कि गेहूँ के समान फटके, परन्तु मैं ने तेरे लिये विनती की कि तेरा विश्‍वास जाता न रहे; और जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करना।” उसने उससे कहा, “हे प्रभु, मैं तेरे साथ बन्दीगृह जाने, वरन् मरने को भी तैयार हूँ।” उसने कहा, “हे पतरस, मैं तुझ से कहता हूँ कि आज मुर्ग़ बाँग न देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्कार न कर लेगा कि तू मुझे नहीं जानता।”

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