जब वह सब कुछ खर्च कर चुका, तो उस देश में बड़ा अकाल पड़ा, और वह कंगाल हो गया। इसलिये वह उस देश के निवासियों में से एक के यहाँ जा पड़ा। उस ने उसे अपने खेतों में सूअर चराने के लिये भेजा। और वह चाहता था कि उन फलियों से जिन्हें सूअर खाते थे, अपना पेट भरे; और उसे कोई कुछ नहीं देता था। जब वह अपने आपे में आया तब कहने लगा, ‘मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहाँ भूखा मर रहा हूँ। मैं अब उठकर अपने पिता के पास जाऊँगा और उससे कहूँगा कि पिता जी, मैं ने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है। अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊँ, मुझे अपने एक मजदूर के समान रख ले।’ “तब वह उठकर, अपने पिता के पास चला : वह अभी दूर ही था कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया, और दौड़कर उसे गले लगाया, और बहुत चूमा।
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