लूका 1:39-80

लूका 1:39-80 HINOVBSI

उन दिनों में मरियम उठकर शीघ्र ही पहाड़ी देश में यहूदा के एक नगर को गई, और जकरयाह के घर में जाकर इलीशिबा को नमस्कार किया। ज्योंही इलीशिबा ने मरियम का नमस्कार सुना, त्योंही बच्‍चा उसके पेट में उछला, और इलीशिबा पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गई। और उसने बड़े शब्द से पुकार कर कहा, “तू स्त्रियों में धन्य है, और तेरे पेट का फल धन्य है! यह अनुग्रह मुझे कहाँ से हुआ कि मेरे प्रभु की माता मेरे पास आई? देख, ज्योंही तेरे नमस्कार का शब्द मेरे कानों में पड़ा, त्योंही बच्‍चा मेरे पेट में आनन्द से उछल पड़ा। धन्य है वह जिस ने विश्‍वास किया कि जो बातें प्रभु की ओर से उससे कही गईं, वे पूरी होंगी!” तब मरियम ने कहा, “मेरा प्राण प्रभु की बड़ाई करता है और मेरी आत्मा मेरे उद्धार करनेवाले परमेश्‍वर से आनन्दित हुई, क्योंकि उसने अपनी दासी की दीनता पर दृष्‍टि की है; इसलिये देखो, अब से सब युग–युग के लोग मुझे धन्य कहेंगे, क्योंकि उस शक्‍तिमान ने मेरे लिये बड़े– बड़े काम किए हैं। उसका नाम पवित्र है, और उसकी दया उन पर, जो उससे डरते हैं, पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है। उसने अपना भुजबल दिखाया, और जो अपने आप को बड़ा समझते थे, उन्हें तितर–बितर किया। उसने बलवानों को उनके सिंहासनों से गिरा दिया; और दीनों को ऊँचा किया। उसने भूखों को अच्छी वस्तुओं से तृप्‍त किया, और धनवानों को छूछे हाथ निकाल दिया। उसने अपने सेवक इस्राएल को सम्भाल लिया कि अपनी उस दया को स्मरण करे, जो अब्राहम और उसके वंश पर सदा रहेगी, जैसा उसने हमारे बाप–दादों से कहा था।” मरियम लगभग तीन महीने उसके साथ रहकर अपने घर लौट गई। तब इलीशिबा के प्रसव का समय पूरा हुआ, और उसने पुत्र को जन्म दिया। उसके पड़ोसियों और कुटुम्बियों ने यह सुन कर कि प्रभु ने उस पर बड़ी दया की है, उसके साथ आनन्द मनाया, और ऐसा हुआ कि आठवें दिन वे बालक का खतना करने आए और उसका नाम उसके पिता के नाम पर जकरयाह रखने लगे। इस पर उसकी माता ने उत्तर दिया, “नहीं; वरन् उसका नाम यूहन्ना रखा जाए।” उन्होंने उससे कहा, “तेरे कुटुम्ब में किसी का यह नाम नहीं!” तब उन्होंने उसके पिता से संकेत करके पूछा कि तू उसका नाम क्या रखना चाहता है? उसने लिखने की पट्टी मँगाकर लिख दिया, “उसका नाम यूहन्ना है,” और सभों को आश्‍चर्य हुआ। तब उसका मुँह और जीभ तुरन्त खुल गई; और वह बोलने और परमेश्‍वर का धन्यवाद करने लगा। उसके आस पास के सब रहनेवालों पर भय छा गया; और उन सब बातों की चर्चा यहूदिया के सारे पहाड़ी देश में फैल गई, और सब सुननेवालों ने अपने–अपने मन में विचार करके कहा, “यह बालक कैसा होगा?” क्योंकि प्रभु का हाथ उसके साथ था। उसका पिता जकरयाह पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गया, और भविष्यद्वाणी करने लगा : “प्रभु इस्राएल का परमेश्‍वर धन्य हो, क्योंकि उसने अपने लोगों पर दृष्‍टि की और उनका छुटकारा किया है, और अपने सेवक दाऊद के घराने में हमारे लिये एक उद्धार का सींग निकाला, (जैसा उसने अपने पवित्र भविष्यद्वक्‍ताओं के द्वारा जो जगत के आदि से होते आए हैं, कहा था,) अर्थात् हमारे शत्रुओं से, और हमारे सब बैरियों के हाथ से हमारा उद्धार किया है, कि हमारे बाप–दादों पर दया करके अपनी पवित्र वाचा का स्मरण करे, और वह शपथ जो उसने हमारे पिता अब्राहम से खाई थी, कि वह हमें यह देगा कि हम अपने शत्रुओं के हाथ से छूटकर, उसके सामने पवित्रता और धार्मिकता से जीवन भर निडर रहकर उसकी सेवा करते रहें। और तू हे बालक, परमप्रधान का भविष्यद्वक्‍ता कहलाएगा, क्योंकि तू प्रभु का मार्ग तैयार करने के लिये उसके आगे–आगे चलेगा, कि उसके लोगों को उद्धार का ज्ञान दे, जो उनके पापों की क्षमा से प्राप्‍त होता है। यह हमारे परमेश्‍वर की उसी बड़ी करुणा से होगा; जिसके कारण ऊपर से हम पर भोर का प्रकाश उदय होगा, कि अन्धकार और मृत्यु की छाया में बैठनेवालों को ज्योति दे, और हमारे पाँवों को कुशल के मार्ग में सीधे चलाए।” और वह बालक बढ़ता और आत्मा में बलवन्त होता गया, और इस्राएल पर प्रगट होने के दिन तक जंगलों में रहा।