मरियम ने स्वर्गदूत से कहा, “यह कैसे होगा। मैं तो पुरुष को जानती ही नहीं।” स्वर्गदूत ने उसको उत्तर दिया, “पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ्य तुझ पर छाया करेगी; इसलिये वह पवित्र जो उत्पन्न होनेवाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा। और देख, तेरी कुटुम्बिनी इलीशिबा के भी बुढ़ापे में पुत्र होने वाला है, यह उसका, जो बाँझ कहलाती थी छठवाँ महीना है। क्योंकि जो वचन परमेश्वर की ओर से होता है वह प्रभावरहित नहीं होता।” मरियम ने कहा, “देख, मैं प्रभु की दासी हूँ, मुझे तेरे वचन के अनुसार हो।” तब स्वर्गदूत उसके पास से चला गया। उन दिनों में मरियम उठकर शीघ्र ही पहाड़ी देश में यहूदा के एक नगर को गई, और जकरयाह के घर में जाकर इलीशिबा को नमस्कार किया। ज्योंही इलीशिबा ने मरियम का नमस्कार सुना, त्योंही बच्चा उसके पेट में उछला, और इलीशिबा पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गई। और उसने बड़े शब्द से पुकार कर कहा, “तू स्त्रियों में धन्य है, और तेरे पेट का फल धन्य है! यह अनुग्रह मुझे कहाँ से हुआ कि मेरे प्रभु की माता मेरे पास आई? देख, ज्योंही तेरे नमस्कार का शब्द मेरे कानों में पड़ा, त्योंही बच्चा मेरे पेट में आनन्द से उछल पड़ा। धन्य है वह जिस ने विश्वास किया कि जो बातें प्रभु की ओर से उससे कही गईं, वे पूरी होंगी!”
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