विलापगीत 3:16-33

विलापगीत 3:16-33 HINOVBSI

उस ने मेरे दाँतों को कंकरी से तोड़ डाला, और मुझे राख से ढाँप दिया है; और मुझ को मन से उतारकर कुशल से रहित किया है; मैं कल्याण भूल गया हूँ; इसलिये मैं ने कहा, “मेरा बल नष्‍ट हुआ, और मेरी आशा जो यहोवा पर थी, वह टूट गई है।” मेरा दु:ख और मारा मारा फिरना, मेरा नागदौने और–और विष का पीना स्मरण कर! मैं उन्हीं पर सोचता रहता हूँ, इस से मेरा प्राण ढला जाता है। परन्तु मैं यह स्मरण करता हूँ, इसी लिये मुझे आशा है : हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्‍चाई महान् है। मेरे मन ने कहा, “यहोवा मेरा भाग है, इस कारण मैं उस में आशा रखूँगा।” जो यहोवा की बाट जोहते और उसके पास जाते हैं, उनके लिये यहोवा भला है। यहोवा से उद्धार पाने की आशा रखकर चुपचाप रहना भला है। पुरुष के लिये जवानी में जूआ उठाना भला है। वह यह जानकर अकेला चुपचाप रहे, कि परमेश्‍वर ही ने उस पर यह बोझ डाला है; वह अपना मुँह धूल में रखे, क्या जाने इसमें कुछ आशा हो। वह अपना गाल अपने मारनेवाले की ओर फेरे, और नामधराई सहता रहे। क्योंकि प्रभु मन से सर्वदा उतारे नहीं रहता, चाहे वह दु:ख भी दे, तौभी अपनी करुणा की बहुतायत के कारण वह दया भी करता है; क्योंकि वह मनुष्यों को अपने मन से न तो दबाता है और न दु:ख देता है।