उसके रोष की छड़ी से दु:ख भोगनेवाला पुरुष मैं ही हूँ; वह मुझे ले जाकर उजियाले में नहीं, अन्धियारे ही में चलाता है; उसका हाथ दिन भर मेरे ही विरुद्ध उठता रहता है।
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