यहोशू 8:18-29

यहोशू 8:18-29 HINOVBSI

तब यहोवा ने यहोशू से कहा, “अपने हाथ का बर्छा ऐ की ओर बढ़ा; क्योंकि मैं उसे तेरे हाथ में दे दूँगा।” और यहोशू ने अपने हाथ के बर्छे को नगर की ओर बढ़ाया। उसके हाथ बढ़ाते ही जो लोग घात में बैठे थे वे झटपट अपने स्थान से उठे, और दौड़कर नगर में प्रवेश किया और उसको ले लिया; और झटपट उसमें आग लगा दी। जब ऐ के पुरुषों ने पीछे की ओर फिरकर दृष्‍टि की, तो क्या देखा कि नगर का धूआँ आकाश की ओर उठ रहा है; और उन्हें न तो इधर भागने की शक्‍ति रही, और न उधर, और जो लोग जंगल की ओर भागे जाते थे वे फिरकर अपने खदेड़नेवालों पर टूट पड़े। जब यहोशू और सब इस्राएलियों ने देखा कि घातियों ने नगर को ले लिया, और उसका धूआँ उठ रहा है, तब घूमकर ऐ के पुरुषों को मारने लगे। और उनका सामना करने को दूसरे भी नगर से निकल आए; इसलिये वे इस्राएलियों के बीच में पड़ गए, कुछ इस्राएली तो उनके आगे, और कुछ उनके पीछे थे; अत: उन्होंने उनको यहाँ तक मार डाला कि उनमें से न तो कोई बचने और न भागने पाया। और ऐ के राजा को वे जीवित पकड़कर यहोशू के पास ले आए। जब इस्राएली ऐ के सब निवासियों को मैदान में, अर्थात् उस जंगल में जहाँ उन्होंने उनका पीछा किया था घात कर चुके, और वे सब के सब तलवार से मारे गए यहाँ तक कि उनका अन्त ही हो गया, तब सब इस्राएलियों ने ऐ को लौटकर उसे भी तलवार से मारा। और स्त्री पुरुष, सब मिलाकर जो उस दिन मारे गए वे बारह हज़ार थे, और ऐ के सब पुरुष इतने ही थे। क्योंकि जब तक यहोशू ने ऐ के सब निवासियों का सत्यानाश न कर डाला तब तक उसने अपना हाथ, जिस से बर्छा बढ़ाया था, फिर न खींचा। यहोवा की उस आज्ञा के अनुसार जो उसने यहोशू को दी थी इस्राएलियों ने पशु आदि नगर की लूट अपनी कर ली। तब यहोशू ने ऐ को फुँकवा दिया, और उसे सदा के लिये खंडहर कर दिया : वह आज तक उजाड़ पड़ा है। और ऐ के राजा को उसने साँझ तक वृक्ष पर लटका रखा; और सूर्य डूबते डूबते यहोशू की आज्ञा से उसका शव वृक्ष पर से उतारकर नगर के फाटक के सामने डाल दिया गया, और उस पर पत्थरों का बड़ा ढेर लगा दिया, जो आज तक बना है।

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